नई दिल्ली, संवादपत्र सरकार वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले 1995 के कानून में संशोधन करने के लिए संसद में एक विधेयक लाने वाली है ताकि इनके कामकाज में अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके। साथ ही इन निकायों में महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी हो सके। बताया गया कि यह कदम मुस्लिम समुदाय के भीतर से उठ रही मांगों की पृष्ठभूमि में उठाया गया है। वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करने वाला विधेयक वक्फ बोर्ड के लिए अपनी संपत्तियों का वास्तविक मूल्यांकन सुनिश्चित करने को लेकर जिलाधिकारियों के पास पंजीकरण कराना अनिवार्य कर देगा। देश में 30 वक्फ बोर्ड हैं।
सूत्रों के अनुसार रविवार को बताया कि देश में वक्फ बोर्ड के पास करीब 52 हजार संपत्तियां हैं। वर्ष 2009 तक 4 लाख एकड़ भूमि पर 3 लाख पंजीकृत वक्फ संपत्तियां थीं। वर्तमान में, 8 लाख एकड़ से अधिक भूमि पर 8,72,292 ऐसी संपत्तियां हैं। वक्फ द्वारा अर्जित राजस्व का उपयोग केवल मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए किया जा सकता है।
मौजूदा कानून में 40 से अधिक बदलावों वाला संशोधन विधेयक मौजूदा संसद सत्र में लाया जा सकता है। कानून में प्रस्तावित प्रमुख बदलावों में बोर्ड द्वारा किसी भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित करने से पहले उसका सत्यापन सुनिश्चित करना शामिल है। विभिन्न राज्य बोर्ड द्वारा दावा की गई विवादित भूमि का नए सिरे से सत्यापन भी किया जाएगा। वक्फ बोर्ड में महिलाओं को शामिल करना होगा। सूत्रों ने कानून में संशोधन के लिए न्यायमूर्ति सच्चर आयोग और के रहमान खान की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त समिति की सिफारिशों का हवाला दिया।
‘टच मी नॉट’ की सनक-सियासत से आना होगा बाहर: नकवी
अल्पसंख्यक मामलों के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने रविवार को ‘एक्स’ पर कहा कि वक्फ की कार्यशैली को ‘टच मी नॉट’ (अछूत) की सनक-सियासत से बाहर आना होगा। समावेशी सुधारों पर सांप्रदायिक वार ठीक नहीं है। भाजपा नेता अजय आलोक ने कहा कि वक्फ बोर्ड में सुधार की मांग कोई नई बात नहीं है, यह पिछले 30-40 साल से चल रही है। जो लोग यह मांग उठा रहे हैं और इससे प्रभावित हैं, वे खुद मुसलमान हैं। वक्फ बोर्ड में सुधार की जरूरत है और मुझे उम्मीद है कि जब भी यह विधेयक पेश किया जाएगा, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस इसका समर्थन करेंगी।
वक्फ बोर्ड की कानूनी स्थिति व शक्तियों में हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने रविवार को कहा कि वक्फ बोर्ड की कानूनी स्थिति और शक्तियों में किसी भी तरह का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एआईएमपीएलबी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सहयोगी दलों और विपक्षी दलों से भी आग्रह किया कि वे ऐसे किसी भी कदम को पूरी तरह से खारिज करें, संसद में ऐसे संशोधनों को पारित न होने दें। बोर्ड के प्रवक्ता एसक्यूआर इलियास ने एक बयान में कहा कि बोर्ड इस कदम को विफल करने के लिए सभी प्रकार के कानूनी और लोकतांत्रिक उपाय अपनाएगा।
केंद्र का प्रस्ताव धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ: ओवैसी
एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को आरोप लगाया कि सरकार वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता छीनना चाहती है। उन्होंने यहां कहा कि प्रस्तावित संशोधनों के बारे में मीडिया में खबरें आ रही हैं। जिनसे पता चलता है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार वक्फ संपत्ति के संचालन में हस्तक्षेप करना चाहती है। यह अपने आप में धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है। यदि वक्फ बोर्ड की स्थापना और संरचना में कोई संशोधन किया जाता है तो प्रशासनिक अराजकता पैदा होगी और वक्फ बोर्ड अपनी स्वायत्तता खो देगा।