लखनऊ, संवाद पत्र । आप सरकारी अस्पताल पहुंचें और वहां का स्टाफ बदला-बदला दिखे तो, चौंकिएगा मत। ”मे आई हेल्प यू” की तर्ज पर पर्चा वहां बनेगा, दवा उस काउंटर पर मिलेगी, फलां डॉक्टर वहां बैठते हैं, मरीज को भर्ती करने के लिए फाइल यहां बनवानी है, जैसी मदद करते नजर आएंगे। इसके लिए उन्हें जैसा क्षेत्र वहां की बोली-बानी में भी मदद के तरीके सिखाए जाएंगे। यह कार्य राज्य सरकार ने सीएमओ, सीएमएस, नर्स इंचार्ज, अस्पताल मैनेजर और जिला क्वालिटी परामर्शदाता को मास्टर ट्रेनर बनाकर सौंपा है।
राज्य यह कदम प्रदेशवासियों को गुणवत्तापूर्वक इलाज उपलब्ध कराने के साथ ही अस्पताल में अपनत्व का अहसास कराने के लिए उठाया है। सरकार का मानना है कि इससे अस्पतालों में मरीज की तीमारदारी में लगे परिजनों को सुविधा मिलेगी और सरकारी अस्पतालों के प्रति उनके मन में एक सकारात्मक छवि बनेगी।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की महाप्रबंधक प्रशिक्षण डॉ. अर्चना वर्मा ने बताया कि सुरक्षा गार्ड, स्वागत कक्ष में तैनात कर्मी तथा वार्ड सहायक चिकित्सालय आने वाले व्यक्तियों के लिए प्रथम संपर्क बिंदु का काम करते हैं। मरीजों तथा उनके परिवारीजनों के प्रति अस्पताल के इन कर्मचारियों की सजगता और व्यवहार अत्यंत अहम है। उन्होंने बताया कि कई चिकित्सालयों में प्रशिक्षण शुरू हो चुका है और बाकि में भी माइक्रो प्लान बनाकर सभी फ्रंटलाइन स्टाफ को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
दिखाई देंगे पहल के सकारात्मक परिणाम
प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मरीजों और उनके तीमारदारों को सरकारी अस्पताल में अच्छा अनुभव प्रदान करने के लिए मास्टर ट्रेनर को ट्रेनिंग दी गई है। एक बार स्वस्थ होने के बाद मरीज जीवनपर्यंत इस व्यवहार को याद रखता है। निकट भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।
रिसेप्शनिस्ट से लेकर लैब तकनीशियन को दी ट्रेनिंग
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक डॉ. पिंकी जोवल ने बताया कि मुख्यममंत्री के निर्देश पर प्रदेश के सभी फ्रंटलाइन स्टाफ (रिसेप्शनिस्ट/वार्ड सहायक/सुरक्षा गार्ड/ स्टाफ नर्स/ फार्मासिस्ट/लैब तकनीशियन) को प्रशिक्षित करने के लिए लखनऊ में मास्टर ट्रेनर तैयार किए गए हैं। ये मास्टर ट्रेनर सभी जिला अस्पतालों के प्रमुख/मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, स्टाफ नर्स इंचार्ज, अस्पताल मैनेजर व जिला क्वालिटी परामर्शदाता होंगे। हर जनपद से चार मास्टर ट्रेनर तैयार किए गए हैं। नौ बैच में सभी मास्टर ट्रेनर का प्रशिक्षण अगस्त में पूरा हो चुका है। अब ये सब अपने-अपने जनपद के जिला अस्पताल व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के फ्रंटलाइन स्टाफ को ट्रेनिंग देंगे।