लखनऊ, संवादपत्र । लोक निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार और एक ही पटल पर वर्षों से जमे कर्मियों का स्थानातंरण और कार्रवाई को लेकर स्थानीय निकाय अजमगढ़-मऊ क्षेत्र सदस्य विधान परिषद विक्रांत सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शिकायती पत्र लिखकर गंभीर आरोप लगाए हैं।
उन्होंने कहा है कि लोक निर्माण विभाग मुख्यालय में तैनात प्रधान लिपिक वीरेंद्र यादव, वीरेंद्र कुमार यादव, सुनील कुमार यादव और प्रधान लिपिक ओम प्रकाश पटेल अपनी पहली ही नियुक्ति के बाद से 14 से 20 साल से एक ही वर्ग और लखनऊ जिले में तैनात हैं।
उन्होंने आरोप लगाया है कि इनके खिलाफ विधानसभा और विधान परिषद में कई शिकायतें हैं, कई विधायक भी पत्र लिख चुके हैं लेकिन इसके बाद भी पीडल्यूडी अधिकारियों की साठगांठ और राजनीतिक हस्तक्षेप से ये शिकायती पत्र दबवा लेते हैं। विक्रांत ने सीएम से मांग की है कि इनका तबादला मुख्यालय से किया जाए और इनके खिलाफ लगे सभी आरोपों की जांच करवाई जाए।
एमएलसी ने आरोप लगाए हैं कि इन कर्मचारियों की साठगांठ समाजवादी पार्टी से है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि ये अधिकारी समाजवादी पार्टी से ताल्लुक रखने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं के पक्ष में विभागी काम करवाते हैं। इसके अलावा ट्रांसफर पोस्टिंग में दलालों और ठेकेदारों के साथ साठगांठ करते हैं। इस तरह ये सरकार की नीतियों के विरोध में काम कर रहे हैं।
विक्रांत ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय बजट के बाद संगठन के पैड पर सरकार विरोधी प्रतिक्रियाएं भी इन्होंने प्रेषित की हैं। एमएलसी ने यह भी अरोप लगाए हैं कि कमिशन के एवज में कामों का आवंटन किया जाता है। जो खंड कमिशन नहीं देते हैं, उन्हें काम नहीं दिया जाता है।
गंभीर बात तो यह है कि वित्त मंत्री, भारत सरकार द्वारा पेश किये गये बजट अभिभाषण के बाद तत्काल देश व प्रदेश सरकार की आलोचना करते हुए कर्मचारी संघ एवं आचरण नियमावली के विपरीत मर्यादा को तार-तार कर संघ के लेटर हेड पर लिखित रुप से समस्त प्रकाशनार्थ प्रेस विज्ञप्ति जारी की गयी, जो देश व प्रदेश की सरकार एवं संविधान के विपरीत की गयी कार्यवाही को पूर्ण रुप से दर्शाता है।
ओम प्रकाश व सुनील कुमार यादव ने लोक निर्माण विभाग को आवंटित कार्यकारी खण्डों को बजट में 10 प्रतिशत कमीशन उच्चाधिकारियों के नाम पर वसूल कर आवंटन देते हैं, जो खण्ड कमीशन की धनराशि देने में असमर्थ रहता है उसे आवंटन नहीं दिया जाता है।