Paris Paralympics 2024: शॉट पुट में सचिन सरजेराव ने जीता सिल्वर, पेरिस पैरांलिपक में भारत के पदकों की संख्या 21 पहुंची

By Sanvaad News

Published on:

Follow Us

पेरिस। विश्व चैम्पियन सचिन सरजेराव ने पेरिस पैरालम्पिक में पुरुषों की शॉटपुट एफ46 स्पर्धा में एशियाई रिकॉर्ड 16 . 32 मीटर के थ्रो के साथ रजत पदक जीता, जिससे बुधवार को यहां भारत का ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धा में पदक हासिल करने का सिलसिला जारी रहा। 34 वर्ष के खिलाड़ी ने दूसरे प्रयास में सर्वश्रेष्ठ थ्रो फेंका और मई में जापान में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले 16.30 मीटर के अपने ही एशियाई रिकॉर्ड को बेहतर किया । सचिन खिलाड़ी का यह व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रयास हालांकि उन्हें पहला स्थान दिलाने के लिए काफी नहीं था और कनाडा के ग्रेग स्टीवर्ट ने 16.38 मीटर के प्रयास से तोक्यो पैरालम्पिक में जीता स्वर्ण बरकरार रखा। क्रोएशिया के लुका बाकोविच ने 16.27 मीटर से कांस्य पदक जीता। 

खिलाड़ी का रजत पेरिस पैरालम्पिक में एथलेटिक्स में भारत का 11वां पदक है जिससे देश के कुल पदकों की संख्या 21 पहुंच गयी जिसमें तीन स्वर्ण पदक शामिल हैं। एफ46 श्रेणी में वे खिलाड़ी होते हैं जिनकी भुजाओं में कमजोरी है, मांसपेशियों की शक्ति क्षीण है या भुजाओं में निष्क्रिय गति की सीमा क्षीण है।

 ऐसे एथलीट खड़े होकर प्रतिस्पर्धा करते हैं। रजत पदक जीतने के बाद खिलाड़ी ने कहा, मैं स्वर्ण पदक जीतना चाहता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह मेरा सर्वश्रेष्ठ प्रयास था लेकिन मैं संतुष्ट नहीं हूं। मुझे लगता है कि मैं बेहतर कर सकता था। आज मेरा दिन नहीं था।  उन्होंने कहा, ‘‘कड़ी प्रतिस्पर्धा थी और ग्रेग स्टेवार्ट शानदार खिलाड़ी हैं। मैंने अपनी तकनीक में छोटी सी गलती की। मैं कड़ी मेहनत करूंगा और मुझे उम्मीद है कि अगली बार उसे हराऊंगा। ’’ इसमें हिस्सा ले रहे अन्य भारतीयों में मोहम्मद यासेर (14.21 मीटर) और रोहित कुमार (14.10 मीटर) क्रमश: आठवें और नौवें स्थान पर रहे। 

मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर चुके खिलाड़ी ने पिछले साल चीन में एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। महाराष्ट्र के सांगली जिले के करगानी गांव के एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले खिलाड़ह को स्कूल के दिनों में एक दुर्घटना का सामना करना पड़ा। चोट के कारण उनकी कोहनी की त्वचा में ‘गैंग्रीन’ हो गया। कई सर्जरी के बाद भी उनका हाथ कभी ठीक नहीं हो पाया। बचपन में ही उनकी मां का भी देहांत हो गया था। इन सभी बाधाओं के बावजूद उन्होंने इंजीनियर बनने के लिए पढ़ाई के दौरान भाला फेंकना शुरू कर दिया। 

प्रतियोगिता के दौरान कंधे में चोट लगने के कारण उन्होंने शॉटपुट खेलने के लिए बाध्य होना पड़ा। खिलाड़ी को 2015 में पैरा खेलों से परिचित कराया गया और बाद में उनकी मुलाकात कोच सत्यनारायण से हुई जिन्होंने उनके खेल को बेहतर बनाने में उनका साथ दिया। उन्होंने यूपीएससी और महाराष्ट्र लोक सेवा परीक्षा की तैयारी में छात्रों की सहायता की और विभिन्न संस्थानों में ‘विजिटिंग फैकल्टी’ के तौर पर भी काम किया। इससे पहले भारत का ट्रैक एवं फील्ड दल का एक पैरालंपिक में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन तोक्यो में रहा था जिसमें एक स्वर्ण, पांच रजत और दो कांस्य पदक शामिल थे। स्टार भाला फेंक एथलीट सुमित अंतिल के स्वर्ण सहित भारत के ट्रैक एवं फील्ड में अब 11 पदक हो गये हैं जो देश के कुल पदकों के आधे से भी ज्यादा हैं।

Sanvaad News

आपका स्वागत है संवाद पत्र में, जहाँ हम आपको ताज़ा खबरों और घटनाओं से अवगत कराते हैं। हमारी टीम हर समय तत्पर है ताकि आपको सबसे सटीक और नवीनतम समाचार मिल सकें। राजनीति, खेल, मनोरंजन, व्यवसाय, और तकनीक से संबंधित खबरें पढ़ने के लिए हमारे साथ बने रहें। संवाद न्यूज़ - आपकी आवाज़, आपकी खबर।

Leave a Comment