Paris Olympics 2024 : घुड़सवार अनुश अग्रवाल बोले- सही घोड़े के बिना, आप कुछ भी नहीं 

By Sanvaad News

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नई दिल्ली। पेरिस ओलंपिक में चुनौती पेश करने को तैयार घुड़सवार अनुश अग्रवाल को यह समझने में देर नहीं लगती कि उनका घोड़ा ‘सर कारमेलो’ घबराया हुआ, उत्साहित या खुश महसूस कर रहा है।  अग्रवाल ने कहा कि कोई रिश्ता सद्भाव और विश्वास पर बना है तो भाषा कोई बाधा नहीं है। चौबीस साल के अग्रवाल 26 जुलाई से शुरू होने वाले ओलंपिक खेलों में व्यक्तिगत ड्रेसेज स्पर्धा में क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय घुड़सवार हैं। वह ओलंपिक में परिणाम को लेकर ज्यादा चिंता किये बिना अपने खेल को सुधारने पर ध्यान दे रहे हैं। अग्रवाल ‘सर कारमेलो’ के साथ इस स्पर्धा का लुत्फ उठाना चाहते हैं। दोनों के बीच ऐसा बंधन है कि अग्रवाल खुद की देखभाल से ज्यादा अपने घोड़े की देखभाल करना पसंद करते हैं। 

अग्रवाल ने जर्मनी से बताया, ‘‘घोड़ों के बिना, हम कुछ भी नहीं हैं। बेशक, आपको एक अच्छा सवार बनने की ज़रूरत है। आपके पास एक अच्छा कोच होना चाहिए। लेकिन सही घोड़े के बिना, आप कुछ भी नहीं हैं।’’ अग्रवाल 17 साल की उम्र में जर्मनी के पैडरबोर्न गये थे। उन्होंने शौकिया तौर पर घुड़सवारी शुरू की जो जल्द ही जुनून में बदल गया। कड़ी मेहनत और उचित मार्गदर्शन के साथ वह 2023 एशियाई खेलों में दो पदक जीतने में सफल रहे। उन्होंने व्यक्तिगत स्पर्धा में कांस्य जबकि टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था। कोलकाता में जन्मे इस घुड़सवार ने कहा कि उनका अपने घोड़े के साथ बहुत अच्छी समझ है लेकिन इस भरोसे को विकसित करने में काफी समय लगा। अग्रवाल को ‘सर कारमेलो’ की सवारी करते हुए पांच साल हो गए हैं।

 उन्होंने कहा, ‘‘घोड़ों के साथ मानसिक जुड़ाव बनाना, लोगों के साथ संबंध बनाने जैसा ही है। इसमें समय लगता है। रिश्ते कुछ घंटों या कुछ दिनों में नहीं बनते। मैंने उसके साथ काफी समय बिताया है।’’ अग्रवाल ने कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि वह हमेशा चाहता है कि मैं उस पर पूरा ध्यान दूं। यह उसके लिए सबसे जरूरी बात है। वह चाहता है कि मैं उसकी पीठ सहलाते रहूं। वह एक ऐसा घोड़ा है जिसे इंसानों के बीच रहना पसंद है।’’ घुड़सवारी के ड्रेसेज में घोड़े के साथ राइडर की आपसी तालमेल इवेंटिंग और शो जंपिंग से अलग होती है। ड्रेसेज में घोड़ा और सवार पूर्व-निर्धारित गतिविधियों की एक श्रृंखला करते हैं। इस स्पर्धा में पुरूष और महिला घुड़सवार एक साथ भाग लेते हैं। ड्रेसेज स्पर्धा को घोड़े के लिए शारीरिक रूप से कठिन और मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण माना जाता है। 


अग्रवाल ने कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि इसमें घोड़ा टीम का मुख्य सदस्य होता है। मुझे इसी पहलू ने ड्रेसेज के प्रति आकर्षित किया। इसमें हालांकि ताकत और समझ की परीक्षा होती है और सफलता के लिए आपको घोड़े के साथ पूरी तरह से तालमेल बिठाना होता है।’’ पेरिस ओलंपिक में उनके प्रतिद्वंद्वियों और उनकी अपनी उम्मीदों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह दूसरे से प्रभावित हुए बिना अपने खेल पर ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘बेशक, मुझे पता है कि मैं किसके खिलाफ प्रतिस्पर्धा कर रहा हूं। मैं ओलंपिक में वही करूंगा जो मुझे पसंद है और वह है खुद पर ध्यान देना। यही एकमात्र चीज है जो मेरा हौसला बढ़ाती है। मैं दूसरों के प्रदर्शन को प्रभावित नहीं कर सकता, न ही मैं ऐसा करना चाहता हूं।

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