लखनऊ, संवादपत्र । संयुक्त एनएचएम कर्मचारी संघ के एक पदाधिकारी पर कोविड के समय काम करने वाले कर्मचारियों ने पैसे लेने का आरोप लगाया है। कोविड कर्मचारियों का कहना है कि उनका समायोजन कराने के नाम पर पैसा लिया गया है। हालांकि आरोप लगाने वाले कर्मचारियों ने यह भी माना है कि प्रति व्यक्ति करीब 300 रुपये लिये गये हैं। जिसकी शिकायत कोविड कर्मचारियों ने एनएचएम निदेशक से की है। वहीं संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष डॉ. अनिल गुप्ता ने इन आरोपों को निराधार बताया है। इतना ही नहीं उन्होंने तो साजिश में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बात कही है।
दरअसल, कोविड कर्मचारी वह स्वास्थ्य कर्मचारी हैं, जिन्होंने कोरोना काल में आउटसोर्सिंग के जरिए तैनाती पाई थी। इसमें डॉक्टर, नर्स, नॉन मेडिकल साइंटिस्ट, कंप्यूटर ऑपरेटर, लैब टेक्नीशियन, लैब अटेंडेंट जैसे तमाम पदों पर लोगों की भर्तियां हुई थीं।
बताया जा रहा है कि आउटसोर्सिंग पर तैनात इन सभी स्वास्थ्य कर्मियों ने कोविड के समय अपने जीवन की परवाह न करते हुए कोरोना जैसी महामारी को हराने में अहम भूमिका निभाई, लेकिन जैसे ही कोविड का दौर खत्म हुआ। इन्हें हटाने का फरमान जारी हो गया। हालांकि सरकार ने उनकी समस्याओं को समझा और उनके समायोजन की बात की। इनमें से करीब 5500 लोगों का समायोजन भी हो गया, लेकिन अभी भी 2200 स्वास्थ्य कर्मचारी बचे हुए हैं, जिन्हें समायोजन की दरकार है।
बताया जा रहा है कि इन्हीं में से कुछ कर्मचारियों ने संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ के पदाधिकारी पर आरोप लगाया है। वहीं संघ के अध्यघ डॉ. अनिल ने कहा है कि जिन कर्मचारियों ने पैसा देने का आरोप लगाया है। उन्होंने संगठन की सदस्यता लेने के लिए शुल्क जमा किया था। हमारे पदाधिकारी का नाम जानबूझकर खराब करने की कोशिश है। जिससे हमारा संगठन कमजोर हो और कर्मचारियों की समस्या का समाधान न हो। संघ की तरफ से एक पत्र जारी कर कहा गया है कि हम कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं। वहीं आरोप लगाने वाले लोगों का कहना है कि हम पहले से पीड़ित हैं, हमे जो भरोसा दिया गया था। वह पूरा नहीं हुआ है।