Kanpur News: 200 करोड़ से बाढ़ से बचेगा शहर, शासन ने मांगा प्रस्ताव…शहर में यह क्षेत्र होता है प्रभावित

By Sanvaad News

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कानपुर, संवादपत्र । गंगा की धारा को शहर के भीतर घुसने से रोकने के लिये वॉल बन सकती है। बाढ़ के लिहाज से शहर अति संवेदनशील श्रेणी में है। जिसको देखते हुये शासन ने कानपुर नगर निगम से 200 करोड़ रुपये तक का प्रस्ताव बनाकर भेजने के निर्देश दिये हैं। जिससे शहर में बाढ़ से होने वाली हानि को पूरी तरह से रोका जा सके। शासन ने राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण निधि के अंतर्गत नगर निगम के अधिकारियों को जल्द कार्ययोजना बनाने के लिये कहा है। 

बाढ़ के लिहाज से शहर पहले सामान्य श्रेणी में था, लेकिन अब शहर को बाढ़ प्रभावित अति संवेदनशील जिलों की सूची में शामिल करते हुए मॉक एक्सरसाइज करने का आदेश दिया है। बाढ़ की समस्या हर साल होती है जिसे शासन अब जड़ से खत्म करने की तैयारी कर रहा है। 

संयुक्त सचिव उप्र सरकार कल्याण बनर्जी ने नगर आयुक्त को पत्र भेजा है और राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण निधि (एनडीएफएम) के अंतर्गत कानपुर शहर में बाढ़ आपदा को रोकने के लिये 200 करोड़ रुपये तक का प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिये हैं। अधिकारियों के अनुसार गंगा की धारा को रोकने के लिये घाटों के आस-पास और जहां से निचले स्थानों पर पानी भरता है वहां वॉल बनाई जा सकती है। इसको प्रस्ताव में शामिल किया जायेगा। 

प्रशासन के अभी छूटते हैं पसीने

जिले में कहां जलस्तर बढ़ा है, किन गांवों में पानी घुस रहा है या ऐसी स्थितियां बन रही हैं। इसको देखने के लिये प्रशासन को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। इसके साथ ही उसके बचाव व जरूरती सामान उपलब्ध कराना भी कड़ी चुनौती होता है। बाढ़ क्षेत्रों से लोगों की निकासी, हेलीकॉप्टर से बचाव, राहत व रसद पहुंचाने संबंधी गतिविधियां, हेलीकॉप्टर से हताहतों की निकासी जैसे बिंदुओं पर भी प्रशासन मेहनत करता है। राहत कैंप में शरणार्थियों के लिये साफ-सफाई के साथ ही संसाधनों की व्यवस्था कराना जरूरी होता है। 

यह क्षेत्र शहर में बाढ़ से होते हैं प्रभावित

कोहना चौकी के पूरब की ओर कटरी, चैनपुरवा, धारमखेड़ा, दिगनीपुरवा, पहाड़ीपुर, छोटा मंगलपुर, बैराज से सिंहपुर की ओर भोपालपुरवा, बनियापुरवा, बंगला, पुराना ढल्लापुरवा, गिल्ली का पुरवा, दुर्गा का पुरवा, भगवानदीनपुरवा, जाजमऊ से उन्नाव की ओर जाने गांव, छब्बूपुरवा, गुट्टीपुरवा, निहालखेड़ा, नई बस्ती, नया पीपरखेड़ा, पुराना पीपरखेड़ा, दीनकनगर, बदुवाखेड़ा, जुराखनखेड़ा बाढ़ से प्रभावित हो जाते हैं। इसके साथ ही गंगा से सटे शहरी मोहल्लों में भी पानी घुसने का खतरा रहता है।

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