कानपुर, संवादपत्र । उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम अपना सिस्टम हाईटेक करने का दावा तो करता है, लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है। पिछले 20 सालों में रावतपुर बस अड्डे की सूरत जरा भी नहीं बदली है।
यहां आज भी यात्री हों या बस चालक अथवा परिचालक सभी एक पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर ही बैठते हैं। यात्रियों के लिए अन्य कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है, जबकि फजलगंज में निजी बसों के अड्डे पर एसी वेटिंग रूम से लेकर यात्रियों की सुविधा के हर इंतजाम उपलब्ध हैं।
फजलगंज में निजी बसों के अड्डे में वातानुकूलित यात्री प्रतीक्षालय में यात्रियों के लिए हर प्रकार की सुविधाएं दी गई हैं, लेकिन वहीं रावतपुर बस अड्डे पर एक डिब्बानुमा कार्यालय है। पेयजल से लेकर यात्रियों के बैठने के लिये लगाये गये बेंच व टिनशेड की हालत बदतर है। इस बस अड्डे को पार्किंग के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
यहां बिधूना, बेला, बिल्हौर, शिवली, कन्नौज आदि की बसें खड़ी रहती हैं और एक-एक करके रवाना होने के बाद रावतपुर स्टेशन के पास सड़क किनारे रुककर सवारियां लेकर रूट पर निकल जाती हैं।
पहले चुन्नीगंज बस अड्डे से दिल्ली, बिधूना, फरुर्खाबाद, कन्नौज, शाहजहांपुर, बरेली की बसें रावतपुर बस अड्डा होकर जाती थीं, जिससे यात्री यहां बसों का इंतजार करते थे लेकिन अब ये बसें रावतपुर बस अड्डे पर कम आती हैं बल्कि रावतपुर रेलवे स्टेशन के बाहर से होकर निकल जाती हैं।
झकरकटी के अलावा कोई बस अड्डा सफल नहीं
शहीद मेजर सलमान खान अंतर्राज्यीय झकरकटी बस अड्डा को यदि छोड़ दिया जाये तो शहर के तीन अन्य बस अड्डों से बसों का संचालन सन्नाटे में रहता है। चुन्नीगंज बस अड्डे से बरेली, वाराणसी, हरिद्वार, हलद्वानी, शाहजहांपुर समेत कई जिलों के लिए बसें चलती हैं, लेकिन झकरकटी बस अड्डा के आगे चुन्नीगंज बस अड्डा बिल्कुल सफल नहीं है। यही हाल रावतपुर बस अड्डे का है, जबकि अभी हाल में शुरु हुए सिग्नेचर ग्रीन सिटी बस अड्डा से भी बसें चल तो रही हैं लेकिन यात्री यहां बहुत कम संख्या में आते हैं।