Kanpur News: झकरकटी बस अड्डे पर नियमित अधिकारी ही नहीं…स्लीपर बस में 40 सीटें, RTO में दर्ज 36 सीट

By Sanvaad News

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कानपुर, संवादपत्र । शहीद मेजर सलमान खान अंर्तराज्यीय झकरकटी बस अड्डा प्रदेश का सबसे बड़ा अड्डा है। यूपी में सबसे अधिक बसें यहीं आती हैं और यात्री भी यहां ज्यादा आते हैं लेकिन बस अड्डे की हालत खस्ता है। दरअसल सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक महेश कुमार के पास तीन डिपो, बस अड्डे की जिम्मेदारी है, यही कारण है कि वह झकरकटी बस अड्डा नियमित नहीं आ पाते।

बस अड्डा के अन्य जिम्मेदारों को मोबाइल पर डायरेक्शन देते रहते हैं। झकरकटी बस अड्डा काफी बड़ा है और यहां की व्यवस्था संभालने के लिए नियमित अधिकारी चाहिए। नियमित अधिकारी के अभाव में बस अड्डे की दुर्दशा है। कोई प्लेटफार्म नहीं है। जिस बस को जहां स्थान मिलता है, वहीं खड़ी हो जाती है।

बस अड्डा धीरे धीरे धंस भी रहा है, यात्रियों के लिए भी कोई विशेष सुविधा नहीं है। उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली समेत विभिन्न प्रांत की बसें झकरकटी से मिलती हैं। यात्री सुविधाएं कम हैं। 

एसी वेटिंग रूम एक है। टिनशेड के नीचे लगभग 15 बेंच पड़ी हैं जहां गर्मी के मारे बैठना दूभर होता है। इस संबंध में कानपुर परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक अनिल कुमार का कहना है कि झकरकटी बस अड्डे का पीपीपी मॉडल के तहत सुधार किया जाएगा। 

आजाद नगर डिपो, सिग्नेचर सिटी, झकरकटी बस अड्डे की जिम्मेदारी सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक महेश कुमार लिए हैं, यहां बसों का मेंटीनेंस, कौन सी बस कितने बजे रूट पर भेजना है, किस बस का क्या खराबी है, कितनी देर में ठीक कर ली जायेगी, ऐसी तमाम व्यवस्थाएं देखते हैं। ज्यादा दिक्कतों के चलते महेश कुमार आजाद नगर डिपो से नहीं हटते हैं। एआरएम पर सिग्नेचर सिटी बस अड्डा और झकरकटी बस अड्डा दोनों की जिम्मेदारी डाली गई है।

स्लीपर बस में 40 सीटें, आरटीओ में दर्ज 36 सीट 

प्राइवेट बसों में तरह-तरह के खेल सामने आ रहे हैं। एक नया खेल सामने आया है जिसमें आरटीओ में दर्ज है कि बस में 36 सीटें लगी हैं और जब बस चेक की गई तो 40 सीटें मिलीं। एआरटीओ प्रवर्तन ने बस की आरसी निरस्त करने के साथ ही कबाड़ में कटवाने की चेतावनी दी तो बस स्वामी के हाथ पांव फूल गये और गिड़गिड़ाने लगा। 

कानपुर के एआरटीओ प्रवर्तन अंबुज भास्कर ने चेकिंग के दौरान एक बस के कागजात चेक किये तो कागज में 36 सीटें दर्ज थीं लेकिन जब एआरटीओ ने बस के अंदर जाकर चेकिंग की तो बस में 40 सीटें थीं। एआरटीओ प्रवर्तन ने उक्त बस की रिपोर्ट तैयार की और बस स्वामी को नोटिस भेजकर जवाब मांगा कि आपकी बस में 36 की जगह 40 सीटें कैसे आ गईं। एआरटीओ प्रवर्तन ने नोटिस में कहा है कि क्यों न आपके बस की आरसी निरस्त करके बस को कबाड़ में कटवा दिया जाये।

क्या बोले अधिकारी….

बस में अधिक सीटें मिलने का मामला संज्ञान में नहीं है, वैसे आरसी निरस्त होने के बाद कोई भी बस मार्ग पर नहीं चल सकती, ऐसी बसें कबाड़ में ही कटती हैं। 

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