कानपुर, संवादपत्र । बेकनगंज बाजार की सूरत 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद बदल चुकी है। अब ये बाजार नहीं बल्कि झुग्गी झोपड़ी के नाम से मशहूर है। इस झुग्गी झोपड़ी को हटाकर आसरा योजना के तहत गरीबों के लिए 500 फ्लैट बनाए जाने थे लेकिन यहां के भूमाफिया ने इस झुग्गी झोपड़ी बस्ती को हटने नहीं दिया। नतीजा ये रहा कि ये झुग्गी झोपड़ी आज भी वैसे ही बदबूदार बनी हुई है।
यहां के रहने वाले लोग भीषण दुर्गंध से परेशान हैं, यहां हजारों ट्रक पालीथिन, कूड़ा, कबाड़ भरा है। वर्ष 1971 में भारत पाकिस्तान के मध्य हुई जंग के बाद बांग्लादेश का उदय हुआ। उस दौरान कोलकाता, बांग्लादेश से भागे लाखों लोगों को भारत के विभिन्न जिलों में सरकार के द्वारा शरण दी गई। कानपुर के बेकनगंज बाजार में भी बांग्लादेशियों को शरण मिली। धीरे-धीरे बांग्लादेशियों ने पूरी टिन शेड मार्केट पर ही कब्जा कर लिया। बाजार धीरे धीरे खिसक करके बेकनगंज थाना की ओर लुढ़कती रही और बांग्लादेशी टिन शेड मार्केट पर कब्जा करते रहे। देखते ही देखते पूरी मार्केट अवैध कब्जेदारों के कब्जे में हो गई। इन सभी को शरण देने के लिए कुछ भूमाफिया सामने आ गए और वहां बसे लोगों से किराया वसूलने लगे। वर्तमान में बेकनंगज टिन शेड मार्केट झुग्गी झोपड़ी में तब्दील हो चुकी है।
500 आवास बनाकर गरीबों को देने थे
पार्षद हाजी सुहेल अहमद बताते हैं कि दो दशक पूर्व जब मुलायम सिंह की सरकार थी तब तत्कालीन मंत्री मोहम्मद आजम खां ने आसरा योजना के तहत इस झुग्गी बस्ती को संवारने के लिए 500 आवास बनाने की योजना बनाई थी। आजम खां ने एक अधिकारी को भी नियुक्त किया था। प्रत्येक मकान 25 वर्ग मीटर में तैयार होना था, तय हुआ था कि झुग्गी झोपड़ी में जो 210 लोग रह रहे हैं, उन्हें मुफ्त में मकान दिया जाएगा।
290 शेष मकानों के लिए फार्म भरवाकर लाटरी सिस्टम से देने की बात हुई थी। तय था कि मकान में पंखा, बल्ब तक लगाकर दिया जायेगा। लेकिन क्षेत्र के कुछ लोगों ने इस योजना को लागू नहीं होने दिया जबकि नापजोख भी हो गई थी। ये भी तय हुआ था कि सड़क का अतिक्रमण हटा दिया जाएगा और सड़क से हटाये गये लोगों को भी दुकान दी जाएगी।
3400 वर्ग मीटर पर बसी है बेकनगंज बाजार
3400 वर्ग मीटर पर बसी बेकनगंज टिन शेड मार्केट पर 500 आवास बनाने के साथ ही और भी कई योजनाएं बनाई गई थीं। पार्षद हाजी सुहेल अहमद ने बताया कि 1250 करोड़ रुपये की पहली किस्त आ चुकी थी। बेकनगंज बाजार के 3400 वर्ग मीटर में 400 गज का सामुदायिक शौचालय केंद्र भी बनना था। पार्षद ने बताया कि जब बेकनगंज टिन शेड मार्केट में आसरा योजना को लोगों ने लागू नहीं होने दिया तो ये योजना हर्ष नगर पेट्रोल पंप के पीछे चली गई और लोग वहां मजे से रह रहे हैं।
बिहार, बंगाल, बांग्लादेश छोड़ा था
बेकनगंज बाजार में बसे लोग 1971 में भारत पाक जंग के दौरान बिहार, बंगाल और बांग्लादेश छोड़कर आये थे। इनमें काफी लोग हालात ठीक होने के बाद वापस चले गये लेकिन कुछ लोग भूमाफिया की बातों में आकर यहीं रुक गये।
हजारों ट्रक पालीथिन, कूड़ा, कबाड़, रहने को मचान
बेकनगंज टिनशेड बाजार में वर्तमान में करीब पांच हजार झुग्गी झोपड़ी बनी हुई हैं। हजारों ट्रक कबाड़, कूड़ा और पालीथिन व अन्य कबाड़ की सामग्री भरी है, यहीं पर रहने के लिए इन लोगों ने मचान बना रखा है, हजारों लोग इस बस्ती में रहते हैं। यदि यहां आग लग जाये तो फायर ब्रिगेड की गाड़ी यहां तक नहीं पहुंच सकती है। भूमाफिया इन्हीं कबाड़ियों से कारोबार भी करते हैं और किरायाखोरी भी कर रहे हैं।