केडीए उपाध्यक्ष ने ट्रांसपोर्टर एसो. को खाली फ्लैट खरीदने का दिया था प्रस्ताव
कानपुर, संवादपत्र । पनकी शताब्दी नगर में खाली फ्लैट को खरीदने से ट्रांसपोर्टरों ने हाथ खड़े कर दिये हैं। अधिकांश ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि इतनी दूर फ्लैट लेने का कोई फायदा नहीं है। फ्लैट स्टॉफ को भी लेकर नहीं दिया जा सकता क्योंकि अगर वहां लोग रहने लगेंगे तो उन्हें टीपी नगर आने में घंटों लग जायेगा। केडीए वीसी ने कुछ दिनों पहले ट्रांसपोर्टरों के सामने शताब्दी नगर में खाली पड़े फ्लैट को खरीदने का प्रस्ताव दिया था। केडीए उपाध्यक्ष उन्हें फ्लैट दिखाने शताब्दी नगर ले भी गये थे।
यूपी युवा ट्रांसपोर्टर एसो. के संरक्षक श्याम शुक्ला ने बताया कि शताब्दी नगर में जहां ग्रीन सिटी बना रहे हैं वहां केडीए उपाध्यक्ष मदन सिंह गबर्याल फ्लैट दिखाने ले गये थे। केडीए उपाध्यक्ष के प्रस्ताव पर उस समय कुछ लोगों ने फ्लैट खरीदने की इच्छा जताई। लेकिन, बाद में सबसे हाथ खड़े कर दिये। सबका तर्क था कि दूरी बहुत है। वहां अगर लोग रहने लगेंगे तो आने-जाने में घंटों लगेंगे। केडीए की बहुमंजिला योजनाओं में अभी भी 7,292 फ्लैट खाली पड़े हैं। इनको खरीदार नहीं मिल रहे हैं। लगातार रेट फ्रीज करने और चौथाई तथा आधी कीमत चुकाने पर कब्जा देने के बाद भी केडीए फ्लैट नहीं बेच पा रहा है।
14 अरब से ज्यादा फंसे पड़े
केडीए के बहुमंजिली इमारतों में फ्लैट्स बनाने की योजनाओं पर 14 अरब रुपये से ज्यादा फंसे हुए हैं। आठ साल से केडीए लगातार लुभावने ऑफर निकाल रहा है पर लोग हैं कि आकर्षित नहीं हो रहे हैं। अब केडीए ने एक बार फिर से फ्लैट बेचने के लिए नए सिरे से कोशिश शुरू की है। ईडब्लूएस श्रेणी में 25 फीसदी और एलआईजी और एमआईजी में 50 फीसदी पैसा देकर कब्जा देने की घोषणा की है। वहीं एक-मुश्त रकम जमा करने पर ब्याज में राहत देने की बात कही है।
योजना खाली फ्लैट की संख्या
केडीए हाईट कल्याणपुर 36
हिमालय सुलभ-1 98
रामगंगा इंक्लेव 150
केडीए ग्रींस मैनावती मार्ग 200
प्रगति इन्क्लेव जवाहरपुरम 271
मंदाकिनी सुलभ-3 502
यमुना सुलभ-3 564
रामगंगा इन्क्लेव टाइप-1 605
हिमगिरी, नीलगिरी, सरस्वती 687
केडीए ड्रीम 1152
अमन इन्क्लेव फेस-1 1374
एकता इंक्लेव जवाहरपुरम 1653
फ्लैट न बिकने की ये रही वजह
-पर्याप्त सुविधाओं के अभाव में आबादी से दूर निर्माण
-सन्नाटा, सीवर भराव, मुख्य मार्गों से कनेक्टिविटी नहीं
-किसी भी योजना में शापिंग काम्पलेक्स या सोसायटी नहीं होना
-कूड़ा उठाने वाले समय से नहीं पहुंचते, पेयजल की भी समस्या
-10 वर्षों से खड़े भवनों के शीशे टूट चुके, दीवारों में सीलन
– यातायात सुविधा का अभाव, अपने साधनों से ही पहुंच सकते