कानपुर, संवादपत्र । सिविल लाइंस के नजूल भूखंड ब्लाक-15, भूखंड सं-69, 69ए 69 बी पर कब्जे को लेकर हुए विवाद के बाद अब तीन सदस्यीय कमेटी जांच करेगी। एसडीएम सदर की अध्यक्षता में गठित कमेटी में एसीएम सात और तहसीलदार सदर को शामिल किया गया है।
कमेटी यह जांचेगी कि दोबारा लीज कब खत्म हुई। लीज खत्म होने के बाद भूमि की पावर ऑफ अटार्नी किस आधार पर पत्रकार अवनीश दीक्षित को की गई। लीज खत्म होने के बाद क्या दोबारा लीज बढ़ाने के लिए किसी स्तर पर कोई आवेदन पत्र लंबित तो नहीं है। यदि लंबित है तो उसका निस्तारण क्यों नहीं हुआ। लीज खत्म होने के बाद भूमि पर राजस्व विभाग ने कब्जा क्यों नहीं लिया।
यह जमीन वर्ष 1810 में वूमेंस यूनियन मिशनरी को 99 साल के पट्टे पर दी गई थी। लीज खत्म होने के बाद यूनाइटेड फॉलोशिप ऑफ क्रिश्चियन सर्विस ने यह भूमि पट्टे पर ली। यह पट्टा भी खत्म हो गया। इसके बाद भूमि पर कब्जे को लेकर विवाद शुरू हुआ। इसमें एक पक्ष इमेनुअल और दूसरा सैमुअल का है जो भूमि पर खुद का मालिकाना हक जता रहे हैं। झांसी के रहने वाले रहीस हरेंदर मसीह भी भूमि पर हक जताते हैं।
हरेंदर ने ही जमीन की पॉवर ऑफ अटॉर्नी अवनीश दीक्षित के नाम की थी। इसके बाद अवनीश ने इसका केयरटेकर जीतेश झा को बनाया। इंटर्स ऑफ अमेरिका से जुड़े हरेन्द्र मसीह की पावर ऑफ अटॉर्नी आखिर वैध कैसे हो सकती है जब लीज ही खत्म हो गई थी। ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब जांच टीम तलाशेगी।
नजूल संपत्तियों के रखरखाव, उनसे संबंधित मुकदमे जो विभिन्न न्यायालयों में चल रहे हैं उनकी पैरवी आदि की जिम्मेदारी संभाल रहे प्रभारी अधिकारी ने भी अब इन संपत्तियों से जुड़े अभिलेख खंगालने शुरू कर दिए हैं।
भूमि पर कब्जा ले सकता है प्रशासन
लीज खत्म होने के बाद अब इस भूमि पर जिला प्रशासन कब्जा ले सकता है। कब्जे के बाद ही तय होगा कि इसका उपयोग क्या करना है। न्यायालय में चल रहे मुकदमों से संबंधित फाइलें भी जिलाधिकारी ने मंगाई है ताकि उसकी प्रभावी पैरवी की जा सके।