Farrukhabad: जेल में बंदी ने मेहनत कर कमाए एक लाख 4 हजार, बैंक खाते में रुपये आते ही खुशी से झूमा बंदी, जानिए पूरा मामला

By Sanvaad News

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फर्रुखाबाद,संवादपत्र । जिला जेल में सजा काटते-काटते बंदी लखपति बन गया। जब उसके खाते में 1 लाख 4 हजार रुपये का भुगतान पहुंचा तो वह खुशी से उछल पड़ा।
   
जेल अधीक्षक भीमसैन मुकुंद ने बताया कि 14 नवम्बर 2017 से जेल में बंदी कुलदीप की योग्यता स्नातक है। बंदी को जेल अधीक्षक भीमसैन मुकुंद ने बंदियों के प्रार्थना पत्र लिखने के लिए बंदी मित्र के रूप में कार्य पर लगाया था। बंदी के कार्य और लगन को देखते हुए बंदी को अचल प्रताप सिंह, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने 19 सितंबर 2022 को जेल में स्थापित “लीगल एड क्लिनिक” पैरा लीगल वॉलिंटियर के रूप में कार्य पर लगाया। 

बंदी ने पूरे परिश्रम और लगन से कार्य किया। वर्तमान में संजय कुमार एडीजे/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने बंदी कुलदीप के पारिश्रमिक का भुगतान करके जेल अधीक्षक को जानकारी दी, कि पैरा लीगल वॉलिंटियर कुलदीप के पारिश्रमिक का भुगतान कर दिया गया है। जेल अधीक्षक ने बंदी कुलदीप के बैंक खाता का स्टेटमेंट  निकलवाया। 

बैंक स्टेटमेंट के अनुसार बंदी कुलदीप के बैंक खाते में पैरा लीगल वॉलिंटियर का पारिश्रमिक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से एक लाख चार हजार की धनराशि अंतरित की गई है। इसकी जानकारी जेल अधीक्षक ने जब बंदी कुलदीप को दी तो बंदी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। अन्य बंदियों में भी ईमानदारी से कार्य करने के प्रति एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है। कारागार में अन्य कार्यों में भी लगे बंदी बहुत खुश और प्रफुल्लित हैं। 

जेल अधीक्षक ने इस संदर्भ में बताते हुए कहा कि अन्य कार्यों में लगे बंदियों को भी पारिश्रमिक का भुगतान नियमानुसार किया जाता है। जेल अधीक्षक ने बताया कि उन्होंने अपनी जिला कारागार फतेहगढ़ पर तैनाती के दौरान कोरोना काल के अपूर्ण अभिलेखों को पूर्ण करवाकर अब तक एक करोड़ से अधिक का भुगतान विभिन्न बंदियों के खातों में जमा कराया है। बंदी जेल में रहते हुए अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। अपने बच्चों की स्कूल की फीस भर रहे है। 

वकील की फीस देकर अपने केस की पैरवी करवा रहे हैं। अनेकों ऐसे बंदी जेल के पारिश्रमिक से जुर्माना जमा करके जेल से रिहा हो चुके हैं। जेल से रिहा होने के बाद भी बंदी अपने पारिश्रमिक का चेक जेल से ले जाते हैं और अपने बैंक खातों में जमा करके धनराशि प्राप्त करते हैं। जो बंदी जेल में बंद है वो अपनी आवश्यकता अनुसार पारिश्रमिक की धनराशि अपने परिवार जनों को चेक के माध्यम से ही भिजवा देते हैं। 

समय समय पर ऐसे चेक जिलाधिकारी सचिव डीएलएसए के कर कमलों से वितरित कराए गए हैं। अभी तक पारिश्रमिक के रूप में अधिकतम पचास हजार का भुगतान जेल अधीक्षक ने किया था। सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा किया गया। किसी भी कैदी का ये पारिश्रमिक अधिकतम है, जो कि एक लाख चार हजार है।

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