कानपुर, संवाद पत्र। शहर का हर कोना कब्जों से कराह रहा है, इन्हीं में कुछ लोग ऐसे हैं जो जीते-जी पूरे परिवार के साथ कब्रिस्तान में आ गये हैं। वक्फ की कीमती जमीनों पर भूमाफिया की पैनी नजर है, करोड़ों की संपत्ति को खुर्द बुर्द किया जा रहा है, सफेदपोश नेता हों या भूमाफिया ऐसी जमीनें तलाशते रहते हैं जो वक्फ की हों। ये जमीनें औने-पौने दाम में मिल जाती हैं। वहां पीढि़यों से रहने वाले लोगों को लाख दो लाख रुपये देकर जगह खाली करा ली जाती है। इसके बाद शुरु होता है वक्फ जायदाद को हजम करने का खेल।
सिविल लाइंस में वक्फ की कीमती जमीनों पर माफिया ने कब्जा जमा रखा है। शहर के हर कोने में वक्फ की जमीनों को खुलेआम बेचा जा रहा है। यहां तक कि कब्रिस्तान भी सलामत नहीं बचे हैं। बकरमंडी स्थित तकिया बिसातियान में पहले कब्जे कराये गए, जब वोट बैंक तैयार हो गया तो कब्रिस्तान के अंदर सीसी रोड बनवाकर गेट लगा दिया गया। इसी प्रकार वाजिदपुर जाजमऊ में भी कब्रिस्तान पर कई बिल्डिंग तैयार हो गईं। बगाही, रोशन नगर और मछरिया कब्रिस्तान पर भी भूमाफिया ने पैनी निगाह जमा रखी है।
सिकुड़ता जा रहा कब्रिस्तान, शव कहां किए जाएंगे दफन
जिस तेजी के साथ कब्रिस्तानों में कब्जे हो रहे हैं, उससे लगता है कि वह दिन दूर नहीं जब लोगों को दफ्न होने के लिये दो गज जमीन भी नहीं मिलेगी। कब्रिस्तानों में किसी ने जुगाड़ लगाकर कमरा बनवा लिया है, कुछ लोगों ने कब्र को पक्का कराकर चबूतरे बनवा दिये हैं। बड़ी संख्या में झोपड़ियां आबाद हो गई हैं। इससे कब्रिस्तान सिकुड़ते जा रहे हैं।
कई बिरादरी ने अलग किए कब्रिस्तान
बकरमंडी स्थित अवामी कब्रिस्तान, नगर निगम कब्रिस्तान समेत अन्य कब्रिस्तान में तेजी से हो रहे कब्जों को देखते हुए कई जातियों ने अपने कब्रिस्तान ही अलग कर लिए हैं। जैसे रंगरेज बिरादरी का कब्रिस्तान अलग है, इसी प्रकार चमड़ा मंडी की कब्रिस्तान अलग है।