ढाका। बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं। कट्टरपंथियों ने हिंदुओं के मंदिरों पर हमले किए। उनके घरों को लूटा गया है और आग लगा दी गई। हिंसा के डर से बड़ी संख्या में हिंदू सब कुछ छोड़कर सीमावर्ती क्षेत्रों की तरफ चले गए हैं। शुक्रवार को हिंदू जागरण मंच ने ढाका में प्रदर्शन किया। बांग्ला अखबार ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक, शाहबाग चौक पर हजारों हिंदू जमा हुए और हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने हरे कृष्णा-हरे रामा का नारा भी लगाया।
साथ ही प्रदर्शनकारियों ने तोड़े गए मंदिरों को फिर से बनाने की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि ‘वे इस देश में पैदा हुए हैं। यह देश सभी का है। हिंदू देश नहीं छोड़ेंगे। यह हमारे पूर्वजों की जन्मभूमि भी है। यह देश उनका भी उतना ही है। वे भले ही यहां मार दिए जाएं, फिर भी अपना जन्मस्थान बांग्लादेश नहीं छोड़ेंगे। अपना अधिकार पाने के लिए सड़कों पर रहेंगे। रिपोर्ट के अनुसार, रैली में हिंदू समुदाय ने कछ मांगें भी रखीं। इनमें अल्पसंख्यक मंत्रालय की स्थापना, अल्पसंख्यक संरक्षण आयोग का गठन, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले रोकने के लिए सख्त कानून और अल्पसंख्यकों के लिए 10 प्रतिशत संसदीय सीटों का आवंटन की मांग की गई।
हसीना का भारत में रहना पूरी तरह उनका खुद का फैसला है: बीएनपी
ढाका। अपदस्थ शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी की कट्टर प्रतिद्वंद्वी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने शुक्रवार को कहा कि भारत में रहने का पूर्व प्रधानमंत्री का फैसला पूरी तरह से उनका और भारतीय अधिकारियों का है, लेकिन उन्होंने आगाह किया कि बांग्लादेश के लोग इसे अच्छे नजरिए से नहीं देखेंगे। देश में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद सोमवार को हसीना ने इस्तीफा दे दिया और भारत चली गईं। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के वरिष्ठ नेता और पार्टी के प्रवक्ता अमीर खसरू महमूद चौधरी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘अभी, वह (हसीना) बांग्लादेश में हत्याओं और लोगों को जबरन गायब करने से लेकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार जैसे कई अपराधों में सबसे वांछित व्यक्ति हैं।’’
हालाँकि, चौधरी ने कहा कि यह ‘‘खुद हसीना और भारत सरकार का निर्णय है कि उन्हें पड़ोसी देश में रहना चाहिए या नहीं।’’ उन्होंने कहा कि बीएनपी को इस मुद्दे पर कोई अधिकार नहीं है। बीएनपी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली स्थायी समिति के सदस्य चौधरी ने कहा, ‘‘फिर भी, बांग्लादेश के लोग सोचते हैं कि भारतीय अधिकारियों को उनकी भावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए।’’ चौधरी ने कहा, ‘‘लोग (बांग्लादेश में) इसे (हसीना के भारत में रहने) को अच्छे नजरिए से नहीं देखेंगे।