कानपुर, संवादपत्र । बांग्लादेश में तख्ता पलट के बाद शहर की 5500 लघु व सूक्ष्म इकाइयों पर संकट गहरा गया है। चमड़ा उद्योग के अलावा शहर से होने वाले निर्यात में इन यूनिट का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष जुड़ाव रहा है। माना जा रहा है कि फिलहाल तीन महीने तक शहर की इन छोटी यूनिट पर खतरे के बादल रहेंगे।
शहर में बांग्लादेश से सबसे ज्यादा चमड़े का कारोबार होता है। चमड़े का कारोबार आयात और निर्यात मिलाकर लगभग 1500 करोड़ रुपये के आस-पास है। इसके अलावा बांग्लादेश से शहर के केमिकल, टेक्सटाइल इंजीनियरिंग गुड्स, कृषि उत्पाद, प्लास्टिक और सोडा ऐश का बड़े स्तर पर कारोबार जुड़ा है। यह कारोबार सालाना लगभग 900 करोड़ रुपये का होता है।
इन बड़ी इकाइयों के बीच छोटी लगभग 5500 इकाइयां हैं जो बांग्लादेश से सीधे या वहां से कारोबार करने वाली बड़ी इकाइयों के साथ जुड़कर अप्रत्यक्ष रूप से कारोबार करती हैं। वहां पर हुए तख्ता पलट से अब इन इकाइयों पर भी संकट के बादल छा गए हैं।
पिछले दो दिनों से इन छोटी इकाइयों का या तो स्टॉक रास्ते में फंसा हुआ है या फिर वहां से उनके ऑर्डर लगातार कैंसिल हो रहे हैं। आयात और निर्यात करने वाली शहर की बड़ी इकाइयों ने भी यहां की सूक्ष्म व लघु इकाइयों के ऑर्डर रोक दिए हैं।
बांग्लादेश और कानपुर के बीच दोनों ही तरह का कारोबार होता है। इसमें आयात और निर्यात दोनों शामिल हैं। वहां पर हालात खराब होने से शहर की छोटी और मध्यम इकाइयों पर भी बड़ा असर हुआ है। नुकसान बड़ा हुआ है।– आलोक कुमार श्रीवास्तव, सहायक निदेशक, फियो
बांग्लादेश के हालात खराब होने के बाद एमएसएमई सेक्टर का बड़ा फंड फंस गया है। अब इसकी रिकवरी भी होना मुश्किल है। तख्ता पलट के बाद पता नहीं वहां के हालात कैसे हों इसे लेकर एमएसएमई सेक्टर से जुड़े कारोबारी चिंतित हैं। छोटे निवेश से कारोबार शुरू करने वाला ये सेक्टर बुरी स्थिति में है।