हौसला रखिये, हिम्मत न हारिये : ऑटिज़्म अभिशाप नहीं, बेहद खास है आपका बच्चा

By Sanvaad News

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संवाद पत्र, लखनऊ। मां-बाप के लिए उनका बच्चा सबसे खूबसूरत और बेशकीमती इनायत है, लेकिन उन मां-बाप का दर्द कोई नहीं समझ सकता जिनका बच्चा किसी डिसऑर्डर का शिकार है। ऑटिज्म एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में कुछ ही लोग जानते हैं, लेकिन यह समस्या राजधानी में रह रहे कई परिवारों की हकीकत बन चुकी है। हालांकि, कमजोर बच्चों (ऑटिज्म का शिकार) को कामयाब बनाने के लिए ‘द होप रिहैबिलिटेशन एंड लर्निंग सेंटर’ कई थैरपी के माध्यम से इन बच्चों नार्मल जिंदगी दे रहा है, आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में….

अब तक 60 बच्चों नार्मल होकर जा चुके हैं घर

द होप रिहैबिलिटेशन एंड लर्निंग सेंटर के मैनेजिंग डायरेक्टर दिव्यांशु कुमार ने बताया कि वर्ष 2019 में उन्होंने यह संस्था बनाई थी। इसके बाद से करीब 400 बच्चों को थेरेपी दी गई है। इनमें से लगभग 60 बच्चे ऐसे थे, जोकि ऑटिज़्म, डाउन सिंड्रोम, सेरेब्रल पाल्सी और अन्य बौद्धिक और विकास संबंधी विकलांगताओं के शिकार थे, उन्हें थेरेपी के माध्यम से नार्मल किया गया है। इन बच्चों के व्यवहार और शारीरिक विकलांगता में काफी सुधार हुआ है। इनके साथ ही वह बच्चे नार्मल जिंदगी जी रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में सेंटर में करीब 80 बच्चों को थेरेपी दी जा रही हैं। इनमें रुस का भी एक बच्चा शामिल है।

पत्नी के साथ बच्चों को दे रहे थेरेपी

सेंटर के मैनेजिंग डायरेक्टर ने बताया कि उनकी पत्नी प्रीति कुरील फिजियोरेथेपिस्ट है। वह पत्नी के साथ सेंटर में मौजूद बच्चों को थेरेपी देकर उनका उज्जवल भविष्य बनाने की कवायद में जुटे हैं। उनका कहना है कि ऐसे कई दावे किए जाते हैं कि ऑटिज्म को दवा या थेरेपी से हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है। ऑटिज्म का कोई इलाज नहीं है, ऑटिज्म एक आजीवन स्थिति है और इसका कोई स्थाई इलाज नहीं है, हालांकि, सही देखभाल और सहयोग के माध्यम से ऑटिज्म वाले व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। अलग-अलग तरह की थेरेपी से उन्हें सामान्य जीवन जीने में मदद मिलती है।

क्या है ऑटिज्म?

ऑटिज्म ब्रेन की एक स्थिति है जिसे न्यूरो डेवलपमेंट डिसऑर्डर भी कहते हैं, इसमें किसी बच्चे का मानसिक विकास अन्य बच्चों के मुकाबले सामान्य नहीं होता है और बच्चे का दिमाग दूसरे बच्चों के दिमाग से अलग तरीके से काम करता है, इसे मेडिकल टर्म में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर भी कहते हैं। ये ज्यादातर मामलों में पैदाइश के समय से ही होता है और काफी कम उम्र में ही बच्चे में इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं. ऑटिज्म से पीड़ित बच्चा और लोगों से अलग व्यवहार करता है. उसे अन्य लोगों के साथ बातचीत करने में परेशानी आती है और वो दूसरों की बात समझने में भी कठिनाई महसूस करता है।

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