हल्द्वानी, संवादपत्र । एक तरफ प्रदेश की धामी सरकार आम जन को बेहतर उपचार की सुविधा देने का दावा करती है। दूसरी तरफ सरकार और अधिकारियों की आंखों में धूल झोंककर सरकारी अस्पताल में खुलेआम लोगों की जान से खिलवाड़ हो रहा है। जी हां कुमाऊं के सबसे बड़े डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय अस्पताल में एक मेडिकल स्टोर बिना ड्रग लाइसेंस के संचालित हो रहा है। इस मेडिकल स्टोर से रोजाना सैकड़ों मरीजों और तीमारदारों को दवाएं भी दी जा रही हैं।
राजकीय मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने वर्ष 2019 में निविदा के जरिये बरेली की मैसर्स वान्टेल बॉयोटैक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को मेडिकल स्टोर के लिए डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल के मुख्य गेट के समीप दुकान आवंटित की थी। वास फार्मेसी के नाम से संचालित इस मेडिकल स्टोर के स्वामी और कॉलेज प्रशासन के बीच एक नवंबर 2018 से 31 अक्टूबर 2021 यानि तीन वर्ष का अनुबंध हुआ था।
इसका प्रतिवर्ष किराया पांच करोड़ 66 लाख 40 हजार रुपये था। कोरोना काल के बाद दुकान स्वामी ने किराया देना बंद कर दिया। उसने किराया माफ कराने के लिए प्रशासन से लेकर शासन तक अधिकारियों गुहार लगाई, लेकिन बात नहीं बनी। दुकान स्वामी ने न्यायालय की शरण ली, वहां से भी दुकान स्वामी को राहत नहीं मिली।
13 मई 2024 को प्रशासन ने मेडिकल स्टोर का ड्रग लाइसेंस नवीनीकरण न होने पर दुकान को पूर्णतया बंद करवा दिया था। हालांकि दुकान के अंदर दवाएं होने के कारण शटर डाउन कर दिये गये थे। दुकान में कार्यरत कर्मचारी पीछे के रास्ते आते-जाते थे। वर्तमान में दुकान स्वामी ने दुकान के शटर पहले की तरह खोल दिए हैं और दवाओं की बिक्री शुरू कर दी है। कॉलेज प्रशासन को जब इसकी भनक लगी तो हड़कंप मच गया। पता चला कि बिना ड्रग लाइसेंस के मेडिकल स्टोर का संचालन किया जा रहा है।