नई दिल्ली. भारत की कूटनीति की असली परीक्षा अब शुरू होने वाली है. क्योंकि, बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने भारत से अपने अपदस्थ नेता शेख हसीना के प्रत्यर्पण की कवायद तेज कर दी है. न्यायाधिकरण के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने कहा है कि वह जल्द ही शेख हसीना को वापस लाने के लिए एक कानूनी प्रक्रिया शुरू करेंगे. अगस्त में बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शन में कई छात्रों की मौत हो गई थी. इसके कुछ दिन बाद बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से शेख हसीना इस्तीफा देकर भारत आ गई थी. शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद उन पर कई मुकदमे दर्ज किए गए हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत बांग्लादेश की मांग मानने के लिए बाध्य है?
भारत से शेख हसीना की प्रत्यर्पण की मांग महज अब औपचारिकता ही रह गई है. ऐसे में भारत के सामने क्या-क्या विकल्प बचते हैं? पूर्व राजनयिक और कानूनविदों से जानेंगे. लेकिन, इस बीच आपको बता दें कि बांग्लादेश अंतरिम सरकार के सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने कुछ दिन पहले कहा था कि अवामी लीग प्रमुख को भारत में तब तक ‘चुप रहना’ चाहिए जब तक बांग्लादेश उन्हें वापस नहीं चाहता.
क्या शेख हसीना को भारत सौंप देगा बांग्लादेश को?
जानकारों की मानें तो नवनियुक्त सरकार पर शेख हसीना के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग कट्टरपंथियों के बढ़ते दबाव के बाद आया है. बांग्लादेश में छात्रों के प्रदर्शन के दौरान सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की मौत के लिए शेख हसीना को ‘मुख्य अपराधी’ माना गया है. आईसीटी ने 15 जुलाई से 5 अगस्त तक हुए नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में पिछले महीने हसीना और 9 अन्य के खिलाफ जांच शुरू की थी. बांग्लादेश ने पहले तो हसीना का राजनयिक पासपोर्ट रद्द किया और गिरफ्तारी वारंट जारी करने की योजना का संकेत दे दिया है.