विधायक बालमुकुंद आचार्य ने कांग्रेस से भाजपा में आए पार्षदों का गंगाजल व गोमूत्र छिड़ककर किया शुद्धिकरण…

By Sanvaad News

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जयपुर, संवाद पत्र । भारतीय जनता पार्टी के विधायक बालमुकुंद आचार्य ने पार्टी में शामिल हुए कांग्रेस पार्षदों का ‘शुद्धिकरण’ किया। आचार्य हाथोज धाम मंदिर के महंत भी हैं। उन्होंने हाल ही में हेरिटेज नगर निगम के महापौर कार्यालय का और कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में आए पार्षदों का गंगाजल और ‘गोमूत्र’ छिड़ककर ‘शुद्धिकरण’ किया।

यह वाकया बुधवार को हुआ जब जयपुर हेरिटेज नगर निगम की कार्यवाहक महापौर कुसुम यादव ने कार्यभार संभाला। तब महापौर कार्यालय में मौजूद महंत बालमुकुंद आचार्य ने ‘शुद्धिकरण’ किया। इस दौरान मौजूद कांग्रेस पार्षदों ने कहा कि ‘शुद्धिकरण’ का उद्देश्य किसी को भ्रष्ट बताना नहीं था और हिंदू संस्कृति में यह एक सामान्य परंपरा है। 

वहीं कांग्रेस के एक नेता के अनुसार, विडंबना है कि भाजपा में शामिल होने वाले सभी लोग अपने ‘पापों-अपराधों’ से मुक्त हो जाते हैं। जयपुर हेरिटेज नगर निगम (जेएमसीएच) कार्यालय में बुधवार को विधायक ने भ्रष्टाचार से कार्यालय को प्रतीकात्मक रूप से शुद्ध करने और हाल ही में भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस पार्षदों का स्वागत करने के लिए गंगाजल और गोमूत्र के मिश्रण का इस्तेमाल किया। 

यह कदम निगम की पूर्व महापौर मुनेश गुर्जर को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते पद से हटाए जाने के बाद उठाया गया है। उनकी जगह भाजपा ने कुसुम यादव को कार्यवाहक महापौर नियुक्त किया है। यादव को कांग्रेस के सात पार्षदों और भाजपा में शामिल हुए एक निर्दलीय पार्षद का भी समर्थन प्राप्त है। 

यादव के औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण करने से पहले बालमुकुंद आचार्य ने जेएमसीएच परिसर, पार्षदों और अधिकारियों के लिए ‘शुद्धिकरण समारोह’ आयोजित किया। वैदिक मंत्रों के साथ इसकी अगुवाई करने वाले आचार्य ने कहा, “हमने निगम को गंगाजल से शुद्ध किया है, सभी अशुद्धियों को दूर किया है। अब, नई महापौर के कार्यभार संभालने के बाद हम पवित्रता के माहौल में काम करेंगे।” 

अनुष्ठान के दौरान, आचार्य ने भाजपा में शामिल होने वाले कांग्रेस पार्षदों पर प्रतीकात्मक रूप से गंगाजल और गोमूत्र का मिश्रण छिड़का और दावा किया कि इस शुद्धिकरण अनुष्ठान ने उन्हें “सनातनी” में बदल दिया है। आचार्य ने कहा, “उनकी सारी अशुद्धता या भ्रष्टाचार साफ हो गया।” 

उन्होंने कहा कि नगर निगम के अधिकारी भी शुद्धिकरण प्रक्रिया से गुजरे। आचार्य ने कहा, “वे अशुद्धता के प्रभाव में थे, भ्रष्टाचार में लिप्त होने के लिए मजबूर थे। लेकिन अब, इस समारोह के बाद, वे शुद्ध हो गए हैं और ईमानदारी और निष्ठा के साथ काम करेंगे।” इस असामान्य अनुष्ठान ने कुछ लोगों को चौंका दिया। लेकिन उपस्थित पार्षदों में से एक मनोज मुदगल ने कहा कि इस अनुष्ठान का उद्देश्य निगम को भ्रष्टाचार और नकारात्मकता से मुक्त करना था। 

उन्होंने कहा, “हिंदू संस्कृति में शुद्धिकरण के लिए गंगाजल और गोमूत्र का उपयोग करना सामान्य प्रथा है।” एक अन्य पार्षद पारस जैन ने उनका समर्थन करते हुए कहा, “आचार्य कार्यालय को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए अनुष्ठान कर रहे थे।” कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि क्या अनुष्ठान का मतलब यह है कि पार्षद भ्रष्टाचार में लिप्त थे। कांग्रेस पार्षद सुशीला देवी ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी को भ्रष्ट करार देना नहीं था। 

उन्होंने कहा, “वे केवल हमें नहीं, बल्कि पूरे परिसर को शुद्ध कर रहे थे।” आचार्य ने खुद पत्रकारों से बात करते हुए इस बात पर जोर दिया कि यह अनुष्ठान जेएमसीएच के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है। उन्होंने दावा किया, “आज से यह निगम भ्रष्टाचार मुक्त है।” 

कांग्रेस के प्रदेश महासचिव स्वर्णिम चतुर्वेदी ने कहा कि यह अजीब बात है कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले सभी लोग अपने ‘पापों’ से मुक्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा, “राज्य और केंद्र में भाजपा के नेता पहले कांग्रेस नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं। उन्हें प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग और केंद्रीय जांच ब्यूरो केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा धमकाया जाता है, लेकिन जब वे भाजपा में शामिल होते हैं तो वे अपने अपराधों से मुक्त हो जाते हैं।”

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