मुंबई। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को चचेरी बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ उतारकर गलती की। महाराष्ट्र में साल के अंत में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं के बीच पहुंच बनाने की कवायद के तहत राज्य भर में ‘जन सम्मान यात्रा’ निकाल रहे अजित ने कहा कि राजनीति को घर-परिवार से बाहर रखना चाहिए।
लोकसभा चुनाव में सुनेत्रा पवार ने महाराष्ट्र की बारामती सीट पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरद चंद्र पवार (राकांपा-एसपी) की प्रत्याशी सुप्रिया सुले को चुनौती दी थी, जो अजित के चाचा शरद पवार की बेटी हैं। हालांकि, इस चुनाव में सुनेत्रा को हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन बाद में वह राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुईं। पिछले साल जुलाई में अजित पवार और उनके वफादार विधायक एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हो गए थे, जिससे राकांपा दो फाड़ हो गई थी। बाद में निर्वाचन आयोग ने अजित के नेतृत्व वाले गुट को असली राकांपा घोषित किया था।
अजित ने कहा, “मैं अपनी सभी बहनों से प्यार करता हूं। राजनीति को घर-परिवार से बाहर रखना चाहिए। मैंने सुनेत्रा को चुनाव मैदान में अपनी बहन के खिलाफ उतारकर गलती की। ऐसा नहीं होना चाहिए था, लेकिन (राकांपा के) संसदीय बोर्ड ने यह निर्णय लिया था। अब मुझे लगता है कि यह निर्णय गलत था।” यह पूछे जाने पर कि क्या वह अगले हफ्ते रक्षा बंधन पर अपनी बहन के यहां जाएंगे, अजित ने कहा कि वह अभी एक यात्रा पर हैं और अगर वह और उनकी बहनें उस दिन एक ही जगह पर होंगे, तो वह निश्चित तौर पर उनसे मिलेंगे।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने केवल विकास और किसानों, महिलाओं एवं युवाओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं के मुद्दे पर बोलने तथा अपने खिलाफ आलोचना का जवाब नहीं देने का फैसला किया है। अजित ने यह भी कहा कि शरद पवार एक वरिष्ठ नेता और उनके परिवार के मुखिया हैं, इसलिए वह उनकी किसी भी आलोचना का जवाब नहीं देंगे।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना के शरद पवार को निशाना बनाए जाने के सवाल पर अजित ने कहा कि महायुति गठबंधन के सहयोगियों को भी समझना चाहिए कि वे क्या बोल रहे हैं। उन्होंने कहा, “जब हम साथ बैठते हैं, तो मैं अपनी राय जाहिर करता हूं।” अजित इन दिनों ‘मुख्यमंत्री लाडकी बहिन योजना’ का प्रचार-प्रसार भी कर रहे हैं, जिसके तहत महिलाओं को हर महीने डेढ़ हजार रुपये की आर्थिक मदद उपलब्ध कराई जाती है।