लखनऊ, संवादपत्र । लोहिया संस्थान की इमरजेंसी से मरीज को बिना इलाज लौटना डॉक्टर व कर्मचारियों को भारी पड़ गया। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश पर संस्थान प्रशासन की ओर से कराई गई जांच में दोषी पाए गए 6 डॉक्टर समेत कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया। घटना को अमृत विचार ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
सीतापुर के अल्लीपुर निवासी मरीज दिनेश चंद्र (40) को लोहिया संस्थान की इमरजेंसी से गुरुवार को अधूरा इलाज देकर डिस्चार्ज कर दिया गया था। परिजन मरीज को इमरजेंसी के बाहर लिटा कर भर्ती के लिए प्रयास करते रहे। घटना को अमृत विचार ने इमरजेंसी के बाहर तड़पता रहा मरीज, नहीं पसीजे डॉक्टर शीर्षक से प्रकाशित किया था।
इस प्रकरण को उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने घटना पर दुख जताया। कहा कि इस तरह की घटना से सरकार की छवि धूमिल हो रही है। यह गंभीर प्रकरण है। संस्थान प्रशासन को निर्देश दिया कि इसकी एक सप्ताह में जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की जाए। कार्रवाई की आख्या एक सप्ताह के भीतर पेश करें।
निदेश्क डॉ. सीएम सिंह का कहना है कि घटना को जांच के लिए दो सदस्यीय समिति बनाई गई। जिसमें चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विक्रम सिंह और इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रो. शिव शंकर त्रिपाठी की ओर से की गई जांच के आधार पर इमरजेंसी में तैनात दो इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के डॉक्टर, दो मेडिकल ऑफिसर, दो नॉन पीजी जेआर को सात दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है। जबकि दो सोशल वर्कर समेत पांच अन्य को दो दिनों के लिए निलंबित किया गया है। विस्तृत जांच कराई जा रही है।