रुद्रपुर: बिना डकार लिए कौन हजम कर गया गरीबों का 43778 कुंतल गेहूं-चावल?

By Sanvaad News

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रुद्रपुर, संवादपत्र । केंद्र व प्रदेश सरकार ने गरीबों की भूख मिटाने के लिए कई खाद्य योजनाएं संचालित की हैं। वहीं जिला मुख्यालय स्थित जिला पूर्ति विभाग की नाक के नीचे हजारों कुंतल गेहूं-चावल फर्जी डीटीएम दुकानों के माध्यम से वितरित कर दिया गया और करोड़ों का राशन घोटाला कर दिया।

हजारों कुंतल राशन को खपाने और डीटीएम ऑनलाइन दुकान बनाने में कौन मास्टरमाइंड होगा और आखिर कौन खा गया गरीबों का निवाला। इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहता है। सवाल फिर वहीं आकर खड़ा हो गया कि क्या शासन-प्रशासन इसकी जांच कर खुलासा करेगा। यह आने वाला समय ही बताएगा।

बताते चलें कि वर्ष 2016 से 2017 में उस वक्त ऑनलाइन डीटीएम नाम से तीन दुकानों का आवंटन हुआ। इस दौरान सरकार से ऑनलाइन राशन की डिमांड की जाती थी और कार्ड धारकों को मैनुअल ही राशन का वितरण होता था। आवंटित डीटीएम की दुकान किच्छा, खटीमा व जगतपुरा रुद्रपुर में दर्शायी गई थी।

इसके बाद राशन घोटाले के मास्टर माइंड ने सरकार से ऑनलाइन गेहूं-चावल की डिमांड की और अक्टूबर 2016 से फरवरी 2019 तक जो गेहूं व चावल वितरित किया गया उसके आंकड़े वास्तव में चौकाने वाले हैं। आंकड़ों के अनुसार डीटीएम जगतपुरा से 3005 कार्डधारक और 13719 यूनिट पर 20099.90 कुंतल गेहूं-चावल वितरण दिखाया गया। जिसकी कीमत 6 करोड़ 10 लाख 50 हजार 164 रुपये है।  

वहीं किच्छा डीटीएम में कार्ड संख्या 2577 पर गेहूं-चावल 16678.35 कुंतल है। जिसकी कीमत 5 करोड़ 6 लाख 64 हजार 400 रुपये आंकी गई है, जबकि खटीमा डीटीएम में भी एक हजार राशन कार्डों को जोड़ा गया और करीब सात हजार कुंतल राशन वितरण किया है। आशंका है कि यहां भी करीब तीन करोड़ का गेहूं-चावल वितरण किया होगा।

सूची में खटीमा डीटीएम में अनुमानित दिया गया है। ऐसे में यदि किच्छा, खटीमा और जगतपुरा डीटीएम की धांधली का आंकड़ा लगाया जाए तो तीनों ऑनलाइन फर्जी डीटीएम  दुकानों से 43778.25 कुंटल, जिसकी कीमत 14 करोड़ 17 लाख 14 हजार 564 रुपये आंकी गई है। अब सवाल यह उठता है कि महज तीन वर्ष के अंदर जब हजारों कुंतल राशन व करोड़ों का राशन वितरण दर्शाया है तो राशन किसको वितरित किया गया होगा। ऑनलाइन जोड़े गए राशन कार्डों का न धरातल में और न ही मैनुअल कोई रिकार्ड पूर्ति विभाग के पास है।

अंत्योदय, बीपीएल व खाद्य योजना के हैं कार्ड

ऑनलाइन डीटीएम के माध्यम से राशन घोटाले के आंकड़ों पर नजर डालें तो डीटीएम की तीनों दुकानों में अंत्योदय, बीपीएल और राज्य खाद्य योजना के कार्ड को जोड़ा गया था। जगतपुरा में अंत्योदय के 244, बीपीएल के 13469 और राज्य खाद्य योजना के छह कार्ड दर्शाए गए हैं। इसी प्रकार किच्छा और खटीमा की डीटीएम ऑनलाइन दर्शाया गया। गौर करने वाली बात यह है कि तीनों दुकानों में सबसे ज्यादा बीपीएल, उसके बाद अंत्योदय और सबसे कम राज्य खाद्य योजना के कार्ड जोड़े गए हैं। कारण बीपीएल व अंत्योदय में केंद्र व राज्य सरकार से सबसे अधिक राशन मुहैया कराया जाता है।

पहले दुकानों में राशन कार्डों की संख्या को दर्शाया, फिर की गेहूं-चावल की खरीद

वर्ष 2016 से 2017 में ऑनलाइन डीटीएम नाम से आवंटित दुकानों में राशन कार्डों की संख्या को दर्शाया गया और फिर सरकार को कार्डों की संख्या भेजकर वहां से हजारों कुंतल गेहूं-चावल की खरीद की गई।

आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016 से वर्ष 2019 तक हुए वितरण में गेहूं को 2800 रुपये प्रति कुंतल और चावल को 3200 रुपये प्रति कुंतल के हिसाब से खरीदा गया। जिसके बाद ही तीन सालों में हुई खरीद की धनराशि करोड़ों में जाकर बैठी। इससे साफ हो गया है कि साजिशकर्ता ने जहां सरकार को भी गुमराह कर हजारों कुंतल राशन उठा लिया। वहीं करोड़ों के वारे न्यारे कर दिए।

कहां खपाया राशन, जब कोई नहीं है रिकॉर्ड

वर्ष 2016 से 2017 में ऑनलाइन डीटीएम के नाम से हुए राशन घोटाले और करोड़ों की हेराफेरी किसने और किसके इशारे पर हुई। अब सवाल यह उठता है कि हजारों कुंतल राशन कहां ठिकाने लगाया गया होगा। कारण डीटीएम की तीनों दुकानों से जोड़े गए राशन कार्ड फिलहाल फर्जी हैं। कार्डों का मैनुअल रिकॉर्ड भी नहीं है।

एक नाम का प्रयोग कई-कई बार दर्शाया कर यूनिट का सिर्फ बढ़ाया गया है। यहां तक कार्ड धारक भी नदारद हैं। ऐसे में प्रबल संभावना है कि हजारों कुंटल राशन को या तो रुद्रपुर सस्ता गल्ला दुकानों के माध्यम से ठिकाने लगाया गया होगा या फिर मिलों में सप्लाई किया होगा। यह सब जांच के बाद ही सामने आएगा।

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