अयोध्या। संवाद पत्र। अयोध्या राम मंदिर में तैनात सेना के 20 जवान सेवानिवृत्त हो चुके हैं। अब इन सेवानिवृत्त हो चुके जवानों को रामलला की सेवा में लगाया जाएगा। इसकी रिपोर्ट वें ट्रस्ट को सौंपेंगे। इन रिटायर्ड सैन्यकर्मियों को कई अहम जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। रिटायर्ड जवानों में तीन धर्मगुरु भी शामिल हैं। धर्मगुरुओं को रामलला की पूजा-अर्चना के अतिरिक्त दर्शनार्थियों पर निगाह रखने की जिम्मेदारी दी गई है।
रामलला की सेवा में सेना से सेवानिवृत्त हुए 20 जवानों को भी नियुक्त कर दिया गया है। इनमें से तीन जवान धर्मगुरु पद से रिटायर हुए हैं तो अन्य विभिन्न पदों से। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इनकी ड्यूटी राम मंदिर में ही गर्भगृह के बाहर रखी गई है, ये पुलिसकर्मियों की तरह अभिसूचना का कार्य भी देखेंगे।
धर्मगुरुओं को रामलला की पूजा-अर्चना के अतिरिक्त दर्शनार्थियों पर निगाह रखने की जिम्मेदारी दी गई है। धर्मगुरु गर्भगृह के बाहर की आरती-पूजा के समय व्यवस्था में सहयोग के साथ घंटा-घड़ियाल बजाने और आरती दिखाने के कार्य में मदद करेंगे।
17 रिटायर सैनिकों को व्यवस्थाओं की निगरानी की दी गई जिम्मेदारी
धर्मगुरु के अलावा अन्य 17 रिटायर सैनिकों को परिसर में सादी वर्दी में श्रद्धालुओं के साथ व्यवस्थाओं की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है। यह सैनिक बुजुर्ग श्रद्धालुओं की सहायता भी करेंगे और आकस्मिक स्थिति यात्री सेवा केंद्रों में स्थित अस्पताल में पहुंचाएंगे। किसी समस्या के दौरान तत्काल प्रभाव से उनका समाधान कराने के लिए तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों को रिपोर्ट भी भेज रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार इन्हीं में से कुछ सैनिक सुगम पास व विशिष्ट दर्शन पास के अलावा आरती पास की स्कैनिंग कर जांच भी कर रहे हैं।
पुजारियाें को कपड़े देने के लिए ली जा रही नाप-जोख
तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने ड्रेस कोड लागू करते हुए सभी पुजारियों को कपड़े देने की व्यवस्था की है। इसके लिए पुजारियों की नाप-जोख कराई जा रही है। ट्रस्ट की ओर से निर्धारित ड्रेस कोड में पुजारी पीली चौबंदी व सफेद धोती के साथ सफेद पट्टिका धारण करेंगे।
गर्मी के मौसम में सूती चौबंदी पहनेंगे और सर्दी के दिनों में ऊनी चौबंदी रहेगी। सभी पुजारियों को निर्धारित रामानंदीय परंपरा की तिलक-मुद्रा भी मस्तक पर धारण करनी होगी। साथ ही सेवा के दौरान लगभग 45 मिनट स्वाध्याय के लिए देना होगा।