मुरादाबाद : गोकुलदास की प्राचार्य चारु मल्होत्रा ने भूटान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में रिसोर्स पर्सन के रूप में किया प्रतिभाग 

By Sanvaad News

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मुरादाबाद। संवाद पत्र ।  महानगर के गोकुलदास हिंदू गर्ल्स डिग्री कॉलेज की प्राचार्य प्रोफेसर चारु मल्होत्रा ने भूटान में आयोजित एंब्रेसिंग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फॉर सस्टेनेबिलिटी एंड लाइफ स्किल विषय पर 24 और 25 अगस्त को एक अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में रिसोर्स पर्सन के रूप में प्रतिभाग किया। प्रचार्या प्रोफेसर चारु मेहरोत्रा जी द्वारा नोरबुलिंग राइटर कॉलेज धोते पारो भूटान के साथ महाविद्यालय का एक एमओयू भी साइन किया है। जिसके अंतर्गत शैक्षिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का पारस्परिक आदान-प्रदान के माध्यम से दोनों देशों के विद्यार्थियों के साथ-साथ फैकल्टी भी लंभाबित होंगे। 

उन्होंने बताया कि इसी संबंध में आगामी दिसंबर माह में दोनों महाविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से एक सेमिनार आयोजित करने की पूरी संभावना है। कॉन्फ्रेंस में इंडिया के साथ-साथ दुबई, नेपाल, यूएई देशों से भी कई प्रतिभागी सम्मिलित रहे। प्राचार्य प्रोफेसर चारु मल्होत्रा ने बताया कि कांफ्रेंस में उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का महत्व और साहित्य में उपयोग का एवं महत्व के बारे में विचार रखें। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस गूगल से अधिक एडवांस्ड टेक्नोलॉजी है जो वर्तमान समय में तीव्र गति से अपना स्थान सभी क्षेत्रों में बना रही है। वैश्वीकरण के युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने दूरियां बहुत कम कर दी है। 

साहित्य में ए आई का बढ़ता दखल ,अनुवाद के क्षेत्र में एक नई क्रांति का प्रतीक है। तथा चीजों को नवीन रूप देना ,कार्यों को शीघ्र करना, भाव और शब्दों का तुरंत प्रस्तुत करना, शोध एवं रचनात्मक कार्यों  में छात्रों को नए आयाम से परिचित कराना तथा ऐसे अनबुझ समस्याओं का समाधान और सरलीकरण करके छात्रों को मदद करना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का मुख्य कार्य है। लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मनुष्य द्वारा नियंत्रित होना चाहिए ना कि उसके द्वारा मनुष्य नियंत्रित हो। 

इसीलिए कट, कॉपी, पेस्ट की परंपरा ना अपनाएं । बल्कि इसकी मदद से अपनी रचनात्मक एवं सोच को विकासशील बनाएं अन्यथा मनुष्य केवल प्रिंट कॉपी की तरह रह जाएगा। क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तो एक मशीन है, उसमें वह भावनाएं, सोच, विचार जो एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से भिन्न करते हैं का अभाव है। अतः इसके प्रयोग मे सावधानी बरतनी अति आवश्यक है ।प्राचार्य जी ह्यूमैनिटीज के क्षेत्र में एकमात्र महिला थी, जिन्होंने इंटरनेशनल कांफ्रेंस में अपने विचार प्रस्तुत किए।

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