नई दिल्ली। मुक्केबाज से नेता बने विजेंदर सिंह का मानना है कि अगर भारत को 2047 तक खेल महाशक्ति बनना है तो उसे क्रिकेट से इतर और नायकों की जरूरत है जो भावी पीढ़ियों को प्रेरित कर सकें। पूर्व ओलंपिक और विश्व चैम्पियनशिप के कांस्य पदक विजेता विजेंदर का मानना है कि ये नायक ज्यादा से ज्यादा युवाओं को खेल को पेशे के तौर पर अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
भाजपा नेता विजेंदर ने पीटीआई के मुख्यालय में संपादकों से बातचीत में यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार का 2047 तक भारत को खेल महाशक्ति बनाने का लक्ष्य यथार्थवादी है तो उन्होंने कहा, हमें इस संस्कृति में बदलाव के लिए नायक बनाने होंगे। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक स्पर्धा के स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा का जिक्र करते हुए कहा, पिछले कुछ साल में हमारे युवाओं, विशेषकर ग्रामीण इलाकों के युवाओं में अच्छा प्रदर्शन करने की भूख बढ़ती जा रही है। जब वे नीरज चोपड़ा को देखते हैं तो वे उनके जैसा बनना चाहते हैं। वे वह सब कुछ पाना चाहते हैं जो उनके पास है और यही उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
विजेंदर ने कहा, जब मैंने शुरुआत की थी तो मैं केवल एक सरकारी नौकरी चाहता था। लेकिन आज एथलीट और अधिक चाहते हैं। भिवानी के इस मुक्केबाज ने यह भी कहा कि समग्र प्रगति सुनिश्चित करने के लिए देश के खेल बुनियादी ढांचे में सुधार महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, हमारे पास अच्छा बुनियादी ढांचा या अच्छे स्टेडियम नहीं हैं। अगर हम गंभीर हैं तो हमें इसमें सुधार करने की जरूरत है। आप सिर्फ एक क्रिकेट स्टेडियम बनाकर नहीं छोड़ सकते। आपको अन्य खेलों के लिए भी ट्रेनिंग सेंटर बनाने की जरूरत है।
’ विजेंदर ने कहा कि बदलाव बुनियादी स्तर पर स्कूलों में शुरू होना चाहिए जहां पर बच्चों को सिर्फ एक ‘पीरियड’ खेल के लिए मिलता है। क्रिकेट के साथ तुलना करते हुए देश के पहले मुक्केबाज विजेंदर ने कहा कि महान कपिल देव को भी 1983 विश्व कप जीतने से पहले लोग नहीं जानते थे।
उन्होंने कहा, ‘‘कितने लोग कपिल देव के बारे में जानते थे? विश्व कप जीतने से पहले बहुत से लोग उन्हें नहीं जानते थे। अब हम उस स्थिति में हैं जब अगर किसी क्रिकेटर की ऊंगली में चोट भी लग जाती है तो वो खबर बनती है। लेकिन जब किसी मुक्केबाज का जबड़ा टूटता है तो आपको शोर सुनाई नहीं देता, यह खबर नहीं बनती।’’
विजेंदर ने कहा कि ओलंपिक पदक विजेताओं का भी उसी तरह स्वागत होना चाहिए जैसा कि इस महीने की शुरुआत में टी20 विश्व कप जीतने वाली भारतीय क्रिकेट टीम के लिए आयोजित विजय परेड के दौरान हुआ था। उन्होंने कहा, ‘‘हमें (क्रिकेटर से इतर खिलाड़ियों को) बुरा लगता है क्योंकि हम भी देश के लिए पदक जीतते हैं। हमें भी मुंबई में हुए स्वागत के समान ही स्वागत का अधिकार है। ’’ विजेंदर ने कहा, ‘‘ओलंपिक पदक विजेता का भी इसी तरह का स्वागत होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं होगा। पदक विजेता का हवाईअड्डे पर मालाओं से स्वागत होगा, एक दिन टीवी पर दिखाया जायेगा और फिर वे प्रतियोगिता में वापस उतरेंगे।
इस साल लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से भाजपा में आये विजेंदर ने कहा कि अगर उन्हें भविष्य में खेल मंत्रालय की जिम्मेदारी दी जाती है तो वह बतौर एथलीट अपने अनुभव का इस्तेमाल करेंगे। उन्होंने कहा, अगर मैं खेल मंत्री बनता हूं तो मैं भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) को मजबूत बनाऊंगा। मुझे साइ से बहुत सहयोग मिला था, मैं इसे मजबूत बनाना चाहूंगा।
भारत 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी का अधिकार हासिल करने के लिऐ बोली लगाने की योजना बना रहा है। विजेंदर को लगता है कि यह सही दिशा में उठाया गया कदम है जो युवाओं को खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमें ओलंपिक की मेजबानी करनी चाहिए क्योंकि लोगों को ‘फ्री’ में ओलंपिक देखने का मौका मिलेगा। युवा प्रेरित होंगे। जब वे पोडियम और पहले, दूसरे और तीसरे पायदान पर खड़े खिलाड़ियों को देखेंगे तो वे प्रेरित महसूस करेंगे।