बेसिक शिक्षा विभाग में बच्चों के आंकड़ों का खेल

By Sanvaad News

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शमशाबाद ब्लॉक की कलुआपुर सानी में आंगनवाड़ी ने बेचे रिफाइंड के पैकेट भ्रष्टाचार का सबूत हैं । परिषदीय स्कूलों में छात्र संख्या के फर्जी आंकड़ों के आधार पर डीबीटी के माध्यम से भेजे जाने वाली धनराशि में भी गबन किए जाने का मामला सामने आया है। मुख्य विकास अधिकारी के स्तर पर कराई गई जांच में लगभग 14 हजार बच्चों का अंतर बताया गया है। फिलहाल सीडीओ ने बेसिक शिक्षा अधिकारी से रिपोर्ट तलब की है। मामले में संबंधित से गबन की धनराशि की वसूली की तैयारी है। अगर हम आंकड़ों की कड़ी पर जाएं तो विद्यालय 225 दिन खुलता है। ऐसे में कन्वर्जन कास्ट, सामग्री, फल, और आंगनबाड़ी का भुगतान सभी आंकड़ों में लगभग 2 करोड़ से ज्यादा का गबन सामने आएगा । अधिकारी बंद कमरों में बैठकर चला रहे विद्यालय, शिक्षक प्रधान और खंड शिक्षा अधिकारी कर रहे खेल। बेसिक शिक्षा अधिकारी जनपद में बैठकर फाइलें साइन कर रहे हैं और मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति भ्रष्टाचार की भेट चढ़ रही है।

मुख्य विकास अधिकारी अरविंद कुमार मिश्रा की ओर से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को लिखे पत्र के अनुसार आकांक्षात्मक ब्लाक राजेपुर में विगत 11 जुलाई को अपराह्न 12:40 बजे ग्राम रतनपुर पमारान के प्राथमिक विद्यालय में कराए गए निरीक्षण के दौरान पाया गया कि यहां पंजीकृत 151 बच्चों के सापेक्ष 15 मिनट पहले ही 88 बच्चों की उपस्थित लगाई गई थी, जबकि मौके पर मात्र 49 बच्चे उपस्थित मिले। इसी प्रकार 11 जुलाई को ही अपराह्न 01:40 बजे प्राथमिक विद्यालय रूलापुर बंद मिला। सभी बच्चे जा चुके थे। स्कूल में चल रहे स्वास्थ्य विभाग के संपूर्णता अभियान में मौजूद लोगो ने बताया विद्यालय 01:35 पर बंद हो गया। इससे प्रतीत होता है कि प्राथमिक विद्यालय रूलापुर के अध्यापक समय से पूर्व ही विद्यालय बंद करके चले जाते हैं। इससे प्रतीत होता है कि विद्यालय में बच्चों की संख्या अधिक दिखा कर एमडीएम की धनराशि का गबन किया जा रहा है। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि रतनपुर पमारान के प्राथमिक विद्यालय के कक्षा पांच में उपस्थित आठ बच्चों में से केवल एक बच्चा हिन्दी की किताब पढ़ पाया। कक्षा तीन में 18 बच्चों में से कुल तीन बच्चे ही हिन्दी की किताब पढ़ सके। बच्चों ने बताया कि केवल सुरेश नामक अध्यापक पढाते हैं। तथा विद्यालय के अध्यापकों द्वारा बच्चों के लर्निंग आउटकम पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सीडीओ ने प्राथमिक विद्यालय रतनपुर पमारान में उपस्थित पंजिका पर अधिक दिखाए गए 39 बच्चों के सापेक्ष एमडीएम में भेजी गयी पूरे वित्तीय वर्ष 2024-25 की धनराशि की वसूली कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही बच्चों की शिक्षा पर ध्यान न दिए जाने के मामले में संबंधित अध्यापकों के विरुद्ध कार्रवाई को भी लिखा गया है। साथ ही प्राथमिक विद्यालय रूलापुर के समय से पूर्व बंद पाए जाने पर विद्यालय के सभी अध्यापकों का जुलाई 2024 का वेतन रोकने के भी निर्देश दिए गए हैं। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि छात्र संख्या में 14 हजार के अंतर के बाद प्रेरणा एप पर मानीटरिंग कराई गई। इससे स्थिति में सुधार हुआ है। फिलहाल एक विद्यालय में की गई गबन की धनराशि के वसूली के आदेश दिए गए है। गबन के संभावना वाले स्कूलों की समीक्षा की जा रही है।

बच्चो का 225 दिन का स्कूल है
करोड़ों के खेल में लीपापोती की कवायद
सीडीओ के मिले आंकड़ों के अनुसार लगभग 14 हजर छात्रों के हेरफर में करोड़ों का खेल हो रहा है। इतने बच्चों के एमडीएम कन्वर्जन कास्ट, फल, सामग्री, यूनिफार्म और स्कूल बैग की एक वर्ष की धनराशि में लगभग दो करोड़ के गबन का मामला है। बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षा सत्र में 225 दिन स्कूल खुलता है। सामग्री के लिए 28 पर बच्चा मिलता है। जिसमे विद्यालय की चाक, डस्टर, परीक्षा की कापियां, परीक्षा के पेपर फोटो स्टेट और परीक्षा रजिस्टर खरीदने के लिए प्रति छात्र बजट मिलता है। यह धनराशि 3.92 लाख बनती है। इसके अलावा मध्याह्न भोजन में कन्वर्जन कास्ट प्रति छात्र 5.45 रुपये है। वहीं सप्ताह में एक बार फल खिलाने के लिए चार रुपये प्रति छात्र मिलता है। कुल 225 दिनों के शैक्षिक सत्र में कुल 32 सप्ताह होते है। इस हिसाब से 14 हजार बच्चों का 1.79 लाख रुपये का गबन हुआ हैं। वहीं यूनिफार्म के लिए प्रति छात्र 1250 रुपये मिलता है। कुल 14 हजार बच्चों का ही 1.75 करोड़ भी गबन हो गया

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