बाराबंकी : सिर पर चादरें, हाथों में फूलों की डलिया, जायरीनों ने मांगी मुराद

By Sanvaad News

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देवा/ बाराबंकी, संवादपत्र । जो रब है वही राम का संदेश देने वाले महान सूफ़ी संत हाजी वारिस अली शाह के सफर मेला व सालाना उर्स के अवसर पर बुधवार की सुबह 4 बजकर 13 मिनट पर कुल शरीफ़ की रस्म अदा की गयी। इस दौरान देश के कोने कोने से आए हजारों अकीदत मंदों ने वारिस के दरबार में अपनी हाजिरी लगाकर दुआ मांगी।


हज़रत हाजी सैय्यद वारिस अली शाह (रह.) की याद में लगने वाले मेला सफर व सालाना उर्स के अवसर पर आस्ताना आलिया को ख़ूबसूरत ढंग से सजाया गया था। हर तरफ़ वारिस पाक के दीवानों का सैलाब उमड़ता हुआ दिखायी दे रहा था। रात भर जायरीन सिर पर चादरें और फूलों की डलिया लिए वारिस पाक के दरबार में हाज़िरी देकर अपनी मुरादें मांगते नजर आ रहे थे। रात में आस्ताना आलिया के समा खाना समेत हज़रत सैय्यद क़ुर्बान अली शाह (दादा मियाँ) की दरगाह के सज्जादा नशीन हाजी सैय्यद उसमान गनी शाह और दीगर समा खनों में देश के विभिन्न स्थानों के अलावा स्थानीय कव्वालों ने सूफ़ी संत हज़रत वारिस पाक की शान में ज़ोर दार तरीक़े से सूफ़ियाना कलाम पेश कर अकीदत मंदों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

इस दौरान वारिस पाक के दीवानों ने सरकार की शान में कलाम सुनकर ख़ूब पैसा कब्वालों को नज़र किया। वारिस पाक के दीवानें पूरी रात जो जिस जगह पर था रोशनी में नहायी सरकार की दरगाह को निहारता रहा। यह मंज़र देखते ही बन रहा था। क़व्वालों के द्वारा वारिस पाक की शान में कलाम पेश करने का क्रम पुरी रात्रि जारी रहा । क़व्वाल एक समा खाने से दूसरे समा खाने में सूफ़ियाना कलाम पेश करते रहे। जिसके कारण लाउड स्पीकरो की आवाज़ से पूरा क़स्बा रात भर सूफ़ियाना कलाम से गूँजता रहा । वहीं मेला सफर में शामिल होने के लिए विभिन्न स्थानों से हज़ारों अकीदत मंदों के आने का क्रम कुल शरीफ़ संपंन होने से पूर्व तक जारी रहा । उर्स में शामिल होने आये जयरीनों को जहाँ जगह मिली वहीं अपना डेरा डाल दिया और वारिस बाबा की दरगाह को निहारता रहा ।

बुधवार रात्रि सुबह 4 बज कर 13 मिनट का समय हुआ कलाम पाक की तिलवात से वारिस पाक का कुल शरीफ़ शुरू हुआ। इस दौरान आकीदतमंदों के हाथों से शिरनी लेकर एक जगह जमा की जा रहा थी। कुल शरीफ़ के समय जिसको जहां जगह मिली वह अकीदत मंद वही पर खड़ा हो गया और दुल्हन की तरह सजाया गया वारिस पाक का आस्ताना निहारता रहा। कलाम पाक की सूरतों की तिलवात के बाद सलाम वारिस पाक के दरबार में पूरे अदब व आहतराम के साथ पेश किया गया। इसके बाद शिरनी आदि की नज़र पेश करने के बाद मुल्क मे अमन सलामती के लिए दुआ मांगी। इसी के साथ वारिस पाक के कुल शरीफ़ की रस्म फजिर नमाज़ से पूर्व संपन्न हो गयी। कुल शरीफ़ की रस्म अदा होने के साथ ही  आकीदत मंदों ने दरबार वारिस पाक में हाज़िरी दी और अपने घरों की ओर वापसी का क्रम शुरू कर दिया। सुरक्षा को लेकर पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।

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