बरेली: वेस्ट फूड से बना दिया किसानों के मवेशियों के लिए पौष्टिक पशु आहार

By Sanvaad News

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बरेली, संवादपत्र । खेतों में फसलों और खाद्य अपशिष्ट को पौष्टिक पशु आहार में बदलकर किसानों की आय में बढ़ोत्तरी की जा रही है। राजस्थान के निखिल ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की योजना के तहत पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के सहयोग से स्टार्टअप शुरू किया है। इसके तहत वह पशुओं के लिए पोषक आहार बनाकर राजस्थान, गुजरात के बाद अब पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी उत्पाद की बिक्री कर रहे हैं।

राजस्थान के निखिल वोहरा ने वीआईटी वेल्लोर से बायोटेक इंजीनियरिंग करने के बाद फूड पर रिसर्च किया। निखिल ने बताया कि इंटर्नशिप के दौरान वह बैक्टीरिया पर रिसर्च कर रहे थे। उन्होंने वेस्ट फूड पर काम किया और अपने नवाचार को आईवीआरआई में भेजा। वहां चयनित होने के बाद उस पर काम शुरू किया। आईवीआरआई में उन्हें देश-विदेश के विशेषज्ञों से वेस्ट फूड से होने वाले काम की जानकारी के साथ-साथ अपने प्रोजेक्ट में होने वाले लाभ की जानकारी मिली।

गोरखपुर, कानपुर देहात, गुजरात, राजस्थान में बिक रहा उत्पाद
निखिल ने बताया कि राजस्थान के जोधपुर से उन्होंने अपना काम शुरू किया और अब यह कई राज्यों में फैल चुका है। गुजरात के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश में गोरखपुर, देवरिया, प्रतापगढ़, कानपुर देहात आदि क्षेत्रों में उनके उत्पाद के डीलर बने हैं। इसके जरिए कंपनी का 20 करोड़ से ऊपर का टर्नओवर है। उनके स्टार्टअप से 25 लोगों को प्रत्यक्ष और 100 से ज्यादा लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है। उनका कहना है कि गाय को अच्छा पूरक आहार मिलेगा तो वह बेहतर गुणवत्ता का दूध देगी और अच्छा दूध बेचने पर किसान को ज्यादा आय हो सकेगी।

सरकार कर रही किसानों के नवाचारों का सहयोग
कृषि और इससे संबंधित क्षेत्र में स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए आईवीआरआई में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा पोषित राष्ट्रीय कृषि विकास योजना-रफ्तार नाम की परियोजना चलाई जा रही है। इसमें संस्थान के विशिष्ट वैज्ञानिकों के मार्ग दर्शन के साथ पांच से 25 लाख तक अनुदान भी दिया जा रहा है। इसी परियोजना के तहत ही निखिल बोहरा का चयन हुआ।
निखिल की कंपनी कृमांशी टेक्नोलॉजी ने खेत और खाद्य अपशिष्ट को अत्यधिक पौष्टिक पशु आहार में बदलने की एक विधि तैयार की। इससे खाद्य अपशिष्ट कम हुआ और पशुधन पोषण के लिए कम लागत वाला, उच्च गुणवत्ता वाला समाधान भी प्रदान किया। मंत्रालय ने उनकी कंपनी को 13 लाख रुपये का अनुदान दिया। कंपनी ने अब तक 25 हजार से ज्यादा किसानों को लाभ पहुंचाया है।

आईवीआरआई कर रहा वित्तीय सहयोग
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना-रफ्तार परियोजना के तहत कृषि संबंधित क्षेत्र के स्टार्टअप को समर्थन देने के लिए आईवीआरआई को जिम्मेदारी मिली है। आईवीआरआई के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त के निर्देशन में योजना को मूर्त रूप दिया जा रहा है। पशु चिकित्सा से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए संस्थान में 35 स्टार्टअप चल रहे हैं।

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