बरेली, संवादपत्र । रक्तदान को महादान माना गया है, एक यूनिट ब्लड से तीन लोगों की जान बचती है। इसी भाव के साथ दूसरों की मदद के लिए हर महीने सैकड़ों लोग निजी और सरकारी ब्लड बैंक में रक्तदान करने पहुंचते हैं। जिला अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में छह महीने में 1440 लोग रक्तदान करने पहुंचे।
यहां जांचों के बाद 84 लोग हेपेटाइटिस, सिफलिस समेत कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित मिले। जब उन्हें इसकी जानकारी दी गई तो जान हलक में आ गई। अगर वे रक्तदान करने नहीं आते तो शायद उन्हें समय पर गंभीर बीमारियों के बारे में पता भी नहीं चलता।
ब्लड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024 में जनवरी से अब तक कुल 1440 लोगों ने रक्तदान किया है। स्टाफ के अनुसार जांचों के बाद जो लोग गंभीर बीमारियों से ग्रसित मिले, उन्हें इसकी जानकारी दी गई, ताकि उनका समय रहते इलाज शुरू हो सके।
ये है जांच की प्रक्रिया
दरअसल, ब्लड बैंक में आने वाले रक्तदाता की सिर्फ हीमोग्लोबिन और वजन की जांच होती है। स्टाफ संबंधित से मौखिक तौर पर कोई बीमारी होने की जानकारी लेता है, लेकिन अधिकांश को इसकी जानकारी नहीं होती है। रक्तदान करने के बाद संबंधित की हेपेटाइटिस, एचआईवी, मलेरिया, सिफलिस समेत अन्य जांचें की जाती हैं। इन जांचों में करीब चार घंटे का समय लगता है। जांच में गंभीर बीमारी की पुष्टि होने के बाद संबंधित व्यक्ति से पूरी गोपनीयता के साथ संपर्क कर बीमारी की सूचना देकर संबंधित विभाग में इलाज के लिए भेजा जाता है। वहीं, संबंधित व्यक्ति के एकत्र रक्त को नष्ट कर दिया जाता है।
ब्लड बैंक में रक्तदान के बाद तुरंत उस यूनिट की एलाइजा जांचें की जाती हैं। जांच में बीमारी सामने आने पर इस यूनिट को नष्ट कर दिया जाता है। इसलिए, हर व्यक्ति को रक्तदान करने से पूर्व जरूरी जांचें करानी चाहिए।