कोलकाता। पश्चिम बंगाल के मंत्री फिरहाद हकीम ने अपने बयान को लेकर उठे विवाद के बाद सफाई देते हुए दावा किया कि उनकी टिप्पणी का ‘गलत अर्थ निकाला गया’ और उनका इरादा किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था। पश्चिम बंगाल के शहरी विकास मंत्री हकीम ने बृहस्पतिवार को विधानसभा में कहा कि वह मुसलमान हैं, लेकिन नियमित तौर पर दुर्गा पूजा और काली पूजा का आयोजन करते हैं। हकीम कोलकाता के महापौर भी हैं।
पिछले महीने आयोजित ‘अखिल भारतीय कुरान प्रतियोगिता’ में हकीम द्वारा की गई टिप्पणी का भाजपा विधायकों ने विरोध किया था। हकीम विधानसभा में जब भी अपनी बात रखने के लिए खड़े होते थे तो उनकी टिप्पणी को लेकर विरोध जताते हुए भाजपा विधायक सदन से बहिर्गमन कर जाते थे।
हकीम ने कहा, ”यह देखना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब भी मैं किसी प्रश्न का उत्तर देने के लिए खड़ा होता हूं तो वे सदन से बहिर्गमन कर देते हैं। अगर मेरी किसी टिप्पणी का गलत अर्थ निकाला जा रहा है तो मैं क्या कर सकता हूं? यहां (भाजपा के) मुख्य सचेतक डॉ. शंकर घोष सहित मौजूद लोग क्या मुझे बता सकते हैं कि वे मुझे धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति मानते हैं या नहीं? सभी जानते हैं कि मैं धर्मनिरपेक्ष हूं। इस सदन के बाहर एक कार्यक्रम में की गई मेरी टिप्पणी का राजनीतिकरण करना उचित नहीं है।”
उन्होंने कहा, ”मैंने कभी किसी दूसरे धर्म के लोगों का अपमान नहीं किया है और आखिरी सांस तक भी मैं ऐसा नहीं करूंगा। मैं दूसरे धर्मों के लोगों का सम्मान करता हूं। मैं इस्लाम से ताल्लुक रखता हूं, लेकिन नियमित रूप से दुर्गा पूजा और काली पूजा का आयोजन करता रहा हूं। मेरी टिप्पणियों का अनावश्यक रूप से राजनीतिकरण किया जा रहा है। मेरा किसी को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था। मैं एक धर्मनिरपेक्ष परिवार में पैदा हुआ हूं और आगे भी ऐसा ही रहूंगा।”
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि हकीम ने जिस तरह अपने बयान को लेकर स्पष्टीकरण दिया, उससे वह सहमत हैं। अधिकरी ने कहा, ”उस समारोह में आपको महापौर और मंत्री के तौर पर आमंत्रित किया गया था। आपने वहां जो कहा, वह मैं नहीं कह रहा हूं। आपके भाषण का पहला भाग तो ठीक था, लेकिन दूसरे भाग में आपने अन्य धर्मों के लोगों को भी उस धर्म में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था जिसमें आपकी आस्था है। हम नहीं चाहते कि आप माफी मांगें, बल्कि हम चाहते हैं कि आप उनसे माफी मांगें जिनकी भावनाएं आहत हुई हैं।”
हकीम ने कहा कि वह वहां इसलिए गए क्योंकि उन्हें एक विशेष धर्म के प्रतिनिधि के तौर पर आमंत्रित किया गया था। जुलाई की शुरुआत में आयोजित ‘अखिल भारतीय कुरान प्रतियोगिता’ में की गई हकीम की टिप्पणी ने विवाद खड़ा कर दिया था। हकीम ने कथित तौर पर कहा था, ‘‘जो लोग इस्लाम में पैदा नहीं हुए हैं, वे बदकिस्मत हैं। वे बदकिस्मती लेकर पैदा होते हैं। हमें उन्हें इस्लाम के दायरे में लाना होगा।’’