लखनऊ,संवाद पत्र। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने कहा कि बिजली कंपनियां प्रीपेड स्मार्ट मीटर का खर्च उपभोक्ताओं पर नहीं डाल सकती हैं। बिजली कंपनियों की ओर से दाखिल रिवैंपड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के खर्च अनुमोदन की याचिका पर सुनवाई करते हुए आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह ने यह फैसला सुनाया।
आयोग ने कहा कि प्रीपेड मीटर पर होने वाला कोई भी खर्च किसी भी रूप में बिजली दर हो या बिजली कंपनियों की वार्षिक राजस्व आवश्यकता हो, बिजली कंपनियां प्रदेश के उपभोक्ताओं पर आर्थिक भार नहीं डाल सकती हैं। नियामक आयोग ने कहा कि बिजली कंपनियां राजस्व वसूली संबंधी अपनी ‘कलेक्शन एफिशिएंसी’ और दक्षता के आधार पर इसकी भरपाई स्वयं करें।
मालूम हो कि केंद्र सरकार की योजना के तहत पूरे प्रदेश में सभी उपभोक्ताओं के यहां प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाने हैं। इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। केंद्र सरकार ने कहा था कि विद्युत नियामक आयोग इस खर्च को आम जनता पर न पड़ने दे। इस सिलसिले में केंद्र सरकार की ओर से आयोग को आदेश भी जारी किया गया था। नियामक आयोग ने केंद्र सरकार के निर्देश के क्रम में फैसला सुनाया।
बिजली कंपनियों ने 45 प्रतिशत अधिक दरों पर दिया है टेंडर
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा कि प्रदेश की बिजली कंपनियों के लिए सबसे बड़ा संकट का समय यह है कि केंद्र सरकार ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए लिए 18,885 करोड़ लागत की योजना को अनुमोदन दिया है, पर कंपनियों ने मीटर लगाने के लिए निजी संस्थाओं को 45 प्रतिशत अधिक 27,342 करोड़ का टेंडर दिया है। ऐसे में कंपनियों इसकी भरपाई कैसी करेंगी। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि अभी समय है कि कंपनियां टेंडर की दरों पर पुनर्विचार करें।
चार साल बाद निष्प्रभावी हो जाएगी 4जी तकनीक
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि योजना के तहत बिजली कंपनियां 4जी तकनीकी पर आधारित मीटर लगा रही हैं। दो साल बाद इस तकनीक के निष्प्रभावी होने के आसार हैं। कंपनियों को 5जी तकनीक पर जाना होगा, ऐसे में अगले आठ वर्षों तक यह योजना कैसे चलेगी, इस पर सवाल उठ रहे हैं। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने आयोग के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड ने पूरे प्रदेश में 2जी व 3जी तकनीक के लगभग 12 लाख स्मार्ट मीटर पर लगाए हैं, पर आज तक इसे 4जी में तब्दील नहीं किया गया है।