पितृपक्ष 2024: आज से शुरू, 2 अक्टूबर तक चलेंगे..ये है तर्पण की विधि।

By Sanvaad News

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मान्यता-तर्पण और पिंडदान से पितृ देते खुशहाली का आशीर्वाद।

कानपुर, संवाद पत्र। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक का समय पितरों के तर्पण व पिंडदान के लिए है। इस साल पितृपक्ष 17 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक चलेगा। सनातन धर्म में पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए एक पखवाड़े का समय निर्धारित है।

मान्यता है कि जब हम अपने पूर्वजों को याद कर उनके लिए तर्पण और पिंडदान करते हैं तो पितरों की आत्मा तृप्त और प्रसन्न होती है। पूर्वज हमें सुखी और खुशहाल जीवन का आशीर्वाद देते हैं। धर्म के अनुसार इसलिए पूर्वजों का तर्पण और श्राद्ध कर्म करना चाहिए। 

हिंदू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष 17 सितंबर से चालू होगा। तर्पण व पिंडदान से स्वास्थ्य, समृद्धि, आयु, सुख-शांति, वंशवृद्धि व उत्तम संतान की प्राप्त होती है। श्रद्धापूर्वक तर्पण व पिंडदान के कारण ही श्राद्ध कहा जाता है। पं. मनोज कुमार द्विवेदी के अनुसार पूर्वजों को मनाने का यह उत्तम समय है।

शास्त्रों के अनुसार बड़े पुत्र और सबसे छोटे पुत्र को श्राद्ध करने का अधिकार है। इसके अलावा विशेष परिस्थिति में किसी भी पुत्र को श्राद्ध का अधिकार है। शास्त्र मान्यता के अनुसार ब्राह्मण से श्राद्ध कर्म (पिंडदान व तर्पण) कराना चाहिए। श्रद्धा से ब्राह्मणों को दान दिया जाता है। किसी गरीब, जरूरतमंद की सहायता भी कर सकें तो बहुत बेहतर है।

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