विधि संवाददाता, नैनीताल, संवादपत्र । हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण हटाने के दौरान हुई दो लोगों की मौत में मुआवजे को लेकर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई की।
इस दौरान हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि जब अतिक्रमण हो रहा था, तब अधिकारी कहां थे। अतिक्रमण के बाद भी बिजली, पानी और राशन कार्ड बनाने वाले अधिकारियों के खिलाफ लिए गए एक्शन के बारे में भी पूछा। फिलहाल हाईकोर्ट ने डीएम व एसएसपी से बनभूलपुरा कांड में मृतकों के आश्रितों को दिए मुआवजा को लेकर दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की बनभूलपुरा में सरकारी भूमि पर निर्मित मदरसा व मस्जिद हटाने के दौरान हुए उपद्रव में दो लोगों की मौत पर उनके आश्रितों व घायलों को मुआवजे को लेकर दायर रिपोर्ट में सुनवाई की। मामले की सुनवाई करने के बाद खंडपीठ ने नैनीताल डीएम और एसएसपी से इस बारे में जवाब पेश करने को कहा है।
खंडपीठ ने यह भी बताने को कहा है कि वे कौन अधिकारी थे, जिनके कार्यकाल में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने के बाद भी लोगों को बिजली, पानी व राशन कार्ड जारी किए गए। सरकार व जिला प्रशासन ने उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की है। अब जब इन लोगों को वहां रहते हुए कई दशक हो गए तो सरकार उनके आशियाने तोड़ रही है यह मानवता नहीं हैं।
हाईकोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के 19 फरवरी 2024 के पत्र का स्वतः संज्ञान लिया, जिसमें घटना में मारे गए लोगों के आश्रितों व घायलों को मुआवजा देने का प्रार्थना पत्र दिया गया था। इसमें कहा गया था कि घटना के समय दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गयी थी, जबकि दो लोग गंभीर हालात में अस्पताल में भर्ती कराए गए थे।
घटना के बाद मृतकों के परिवारों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है, इसलिए इन परिवारों को राज्य सरकार की नियमावली-2020 के तहत मुआवजा दिलाया जाए और गंभीर घायलों को भी मुआवजा दिया जाए।