देहरादून, संवादपत्र। टिहरी झील में क्रूज बोट और याट बोट संचालन के लिए जारी किए गए टेंडर को लेकर स्थानीय लोगों की त्योरियां चढ़ गईं हैं। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज आरोपों से घिरते नजर आ रहे हैं।
उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के पुत्र सुयश रावत एक मामले को लेकर सुर्खियों में आ गए हैं। मामला टिहरी झील में क्रूज बोट और याट बोट संचालन के लिए जारी किए गए टेंडर से जुड़ा है। हाल ही में टिहरी झील में क्रूज और याट बोट संचालन के लिए आवेदन मांगे गए थे। मंत्री सतपाल महाराज के पुत्र सुयश ने भी इस प्रक्रिया में आवेदन किया।
हालांकि, विवाद इस बात को लेकर उठ खड़ा हुआ है कि जहां प्रदेश में रोजगार को लेकर पलायन हो रहा है, वहां स्थानीय को वरीयता देने के बजाए देहरादून से एक मंत्री पुत्र को किस आधार पर वरीयता दी गई?
लोगों का कहना है कि टिहरी झील में होने वाले कार्यों को प्राथमिकता से स्थानीय लोगों को दिए जाने की बात कही गई थी, जबकि सुयश रावत का मूल निवास पौड़ी में है और उन्होंने अपना वर्तमान पता देहरादून का दिया है। सूत्रों का यह भी दावा है कि आवेदन की तारीख को बढ़ाने का निर्णय भी विशेष रूप से सुयश रावत के लिए ही लिया गया था।
गौरतलब है कि आवेदन की अंतिम तिथि पहले 26 जुलाई 2024 थी, जिसे बढ़ाकर 17 अगस्त 2024 किया गया हालांकि, आधिकारिक तौर पर यह कहा गया था कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण तारीख बढ़ाई गई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसका आपदाओं से कोई संबंध नहीं था।
जून के आखरी हफ्ते में टिहरी विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण कार्यालय ने टिहरी झील में क्रूज बोट और याट बोट संचालन के लिए आवेदन करने के लिए आमंत्रण किया गया था। यह निर्णय हाल ही में जिले में आई प्राकृतिक आपदाओं के चलते लिया गया है, जिसने कई आवेदकों को समय पर अपने आवेदन जमा करने में बाधित किया।
जारी की गई सूचना के अनुसार, आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 26 जुलाई 2024, दोपहर 12:30 बजे तक निर्धारित की गई थी। आवेदन की समय सीमा को भी बढ़ा दिया था , इसे बढ़ाकर 17 अगस्त 2024, दोपहर 12:30 बजे कर दिया था। आवेदन बढ़ाने की सूचना में बताया गया था, यह अवसर उन सभी इच्छुक आवेदकों के लिए अंतिम होगा जो टिहरी झील में बोट संचालन का लाइसेंस प्राप्त करना चाहते हैं। जिला प्रशासन ने साफ किया है कि यह समय सीमा अंतिम है और इसके बाद प्राप्त होने वाले किसी भी आवेदन को स्वीकार नहीं किया जाएगा। ऐसे में स्थानीय लोगों का सवाल उठाना बिल्कुल सही है, और उनका यह कहना भी क्या यही जीरो टॉलरेंस वाली सरकार?