चाहता हूं मेरी मां मुझे ओलंपिक में पदार्पण करते देखे…अतीत में मिले जख्मों पर मरहम लगाना चाहते हैं जरमनप्रीत सिंह 

By Sanvaad News

Published on:

Follow Us

नई दिल्ली। जिंदगी सभी को दूसरा मौका नहीं देती लेकिन जरमनप्रीत सिंह को मिला और भारतीय हॉकी टीम के इस डिफेंडर की ख्वाहिश है कि तमाम उतार चढावों में उनका संबल बनी उनकी मां कुलविंदर कौर पेरिस में उन्हें ओलंपिक में पदार्पण करते देखे। विश्व कप, चैम्पियंस ट्रॉफी , एशियाई खेल जैसे बड़े टूर्नामेंटों का हिस्सा रहे 28 वर्ष जरमनप्रीत का यह पहला ओलंपिक है और इसमें अच्छा प्रदर्शन करके वह अतीत में मिले जख्मों पर मरहम भी लगाना चाहते हैं।

 पंजाब के अमृतसर के रहने वाले जरमनप्रीत ने रवानगी से पहले दिए इंटरव्यू में कहा, मैं कोशिश कर रहा हूं कि अपनी मां को पेरिस ओलंपिक दिखा सकूं। उन्हें फख्र हो कि उनका बेटा सबसे बड़ा टूर्नामेंट खेल रहा है। उन्होंने कहा, मैं हर मैच से पहले मम्मी से बात करता हूं। उनको हॉकी के बारे में कुछ नहीं पता लेकिन मुझे कहती हैं कि ऐसे खेलना, वैसे खेलना। वह मेरी पहली कोच होती है । मैने चेन्नई में एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी देखने उनको बुलाया था।

जरमनप्रीत को 2016 से 2018 के बीच डोपिंग मामले में दो साल का प्रतिबंध झेलना पड़ा था लेकिन उससे उबरकर उन्होंने वापसी की और जूनियर विश्व कप खेलने का मौका चूकने के आठ साल बाद अब ओलंपिक खेलने जा रहे हैं। नीदरलैंड के ब्रेडा में 2018 चैम्पियंस ट्रॉफी में रजत पदक जीतने वाली भारतीय टीम में पदार्पण करने के बाद से वह 106 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं। वह हांगझोउ एशियाई खेल 2023 में स्वर्ण और राष्ट्रमंडल खेल 2022 में रजत पदक जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे। 

उन्होंने कहा, यूं तो मैने वर्ल्ड कप, चैम्पियंस ट्रॉफी, एशियाई खेलों में भाग लिया है लेकिन ओलंपिक पहला है । ओलंपिक का दबाव अलग ही होता है जिसमें पूरी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमें आती है। स्कूल में अतिरिक्त गतिविधि के तौर पर हॉकी खेलना शुरू करने वाले जरमनप्रीत तोक्यो ओलंपिक की टीम में जगह बनाने से चूक गए थे जब भारत ने 41 साल बाद कांस्य पदक जीता । लेकिन क्रेग फुल्टन के आने के बाद से वह रक्षण के साथ आक्रमण के कौशल पर भी काफी मेहनत कर रहे हैं और भारतीय टीम के नियमित सदस्य बन चुके हैं । उन्होंने कहा कि वह सकारात्मक सोच के साथ पेरिस जा रहे हैं और उन्हें अपने अनुभव और मानसिक दृढता पर पूरा भरोसा है। 

उन्होंने कहा, दबाव की वैसे कोई बात नहीं है क्योंकि इन टीमों के साथ काफी मैच खेल चुके हैं । हम सकारात्मक सोच के साथ ही जा रहे हैं ।सभी खिलाड़ियों का सपना होता है कि ओलंपिक खेलें। मेरे लिये और मेरे परिवार के लिये यह गर्व का पल होगा । देश के लिये पदक जीतने से बड़ी कोई प्रेरणा नहीं होती।

 अपने अनुभवों से परिपक्व हुए जरमनप्रीत ने कहा कि खेल ही नहीं बल्कि निजी जीवन में भी अब वह नकारात्मकता को पास नहीं फटकने देते क्योंकि इससे आदमी कमजोर पड़ जाता है। उन्होंने कहा, खेल में या आम जीवन में भी मानसिक रूप से मजबूत होना जरूरी है । खुद मजबूत रहेंगे तो ही दूसरों की भी मदद कर सकेंगे। मेरा यही लक्ष्य है कि फोकस रखो और अच्छी चीजों को देखों । गलतियों से सबक लो और नकारात्मकता से बचो। 

उन्होंने कहा, नकारात्मक सोच आने से आत्मविश्वास कम हो जायेगा और मैदान के भीतर प्रदर्शन तो खराब होगा ही, मैदान के बाहर भी अपना समय भी बर्बाद होगा। ओलंपिक की तैयारियों के बारे में उन्होंने कहा कि भारत की ताकत उसका जवाबी हमला है और उस पर ही जोर रहेगा। उन्होंने कहा, हमारा जवाबी हमला सर्वश्रेष्ठ है और हम रफ्तार से हॉकी अच्छी खेल खेल रहे हैं। हम इस पर ही जोर देंगे कि काउंटर पर ज्यादा खेलें।

जालंधर की सुरजीत हॉकी अकादमी से निकले इस खिलाड़ी ने कहा, हमने ओलंपिक से पहले प्रो लीग में आठ मैच खेले और आस्ट्रेलिया से भी टेस्ट खेला जिसमें काफी कुछ सीखने को मिला । हर टीम का अपना ढांचा है और सभी अलग अलग तरीके से हॉकी खेलते हैं। पिछले कुछ समय में हमने टीमों का काफी आकलन किया है और मुझे यकीन है कि हम पेरिस से खाली हाथ नहीं लौटेंगे।

Sanvaad News

आपका स्वागत है संवाद पत्र में, जहाँ हम आपको ताज़ा खबरों और घटनाओं से अवगत कराते हैं। हमारी टीम हर समय तत्पर है ताकि आपको सबसे सटीक और नवीनतम समाचार मिल सकें। राजनीति, खेल, मनोरंजन, व्यवसाय, और तकनीक से संबंधित खबरें पढ़ने के लिए हमारे साथ बने रहें। संवाद न्यूज़ - आपकी आवाज़, आपकी खबर।

Leave a Comment