कोर्ट के आदेश पर बीडीओ व सचिव समेत तीन पर जालसाजी का केस दर्ज
गोंडा, संवाद पत्र । मुजेहना ब्लाक के बीडीओ रहे विकास मिश्रा व ग्राम पंचायत अधिकारी सुधांशु वर्मा फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में फंस गए हैं। आरोप है कि खंड विकास अधिकारी व ग्राम पंचायत विकास अधिकारी ने बिना जांच किए ही एक ऐसी महिला का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया जिसका प्रमाण पत्र पहले ही जारी किया जा चुका था। पीड़ित ने कोर्ट के आदेश पर खंड विकास अधिकारी व पंचायत सचिव समेत तीन लोगों के खिलाफ धानेपुर थाने में जालसाजी की रिपोर्ट दर्ज कराई है।
धानेपुर थाना क्षेत्र के पूरेनेवल पहड़वा के रहने वाले रामप्रताप मौर्य के मुताबिक खीरभारी के रहने वाले उमेशचंद्र की मां सीतापती की मौत 15 जनवरी 2014 से पहले हो चुकी है। मां की मौत के बाद उनके हिस्से की जमीन उमेश और उसके भाइयों के नाम पर आ गयी। इसके बाद उमेश ने अपने हिस्से की जमीन को उसके पिता रामसंवारे के नाम बैनामा कर दिया। दाखिल खारिज होकर जमीन रामसंवारे के नाम पर दर्ज हो गयी। राम प्रताप का कहना है कि पिता रामसवारें की मृत्यु के बाद उसने भी वह जमीन नागेश्वर प्रसाद मौर्य इंटर कालेज के नाम पर बैनामा कर दिया।
जो वर्तमान में सरकारी अभिलेखों में दर्ज है लेकिन गांव मे जब चकबंदी प्रक्रिया शुरू हुई तो उमेश की नीयत में खोट आ गयी और सात साल बाद वर्ष 2021 में उसने बीडीओ व ग्राम पंचायत अधिकारी से मिलीभगत कर अपनी मां की असली मृत्यु तिथि छिपाकर दूसरी तिथि में मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करा लिया और उसके खिलाफ न्यायालय में मुकदमा दायर कर दिया।
राम प्रताप का आरोप है कि अधिकारियों ने बिना जांच पड़ताल के सीतापती की मृत्यु 6 नवंबर 2014 दिखाते हुए प्रमाण पत्र जारी कर दिया जबकि उनकी मृत्यु 15 जनवरी 2014 के पहले हो चुकी थी। परेशान होकर रामप्रतापन न्यायालय की शरण ली थी और आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच कराए जाने की मांग की थी। राम प्रताप के प्रार्थना पत्र पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने धानेपुर पुलिस को केस दर्ज कर मामले की जांच का आदेश दिया था।
थाना अध्यक्ष सुनील सिंह ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर मुजेहना ब्लॉक के तत्कालीन खंड विकास अधिकारी रहे विकास मिश्रा, तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी सुधांशु वर्मा व उमेश चंद्र के खिलाफ जालसाजी की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। मामले की जांच की जा रही है।