गोंडा: इलाज में छात्र की मौत का मामला, झोलाछाप की अग्रिम जमानत याचिका निरस्त

By Sanvaad News

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झोलाछाप के गलत इलाज से हुई थी 12 वर्षीय जसवंत की मौत 

गोंडा, संवादपत्र । धानेपुर थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत त्रिभुवन नगर ग्रांट के मजरा सोहारवा के रहने वाले छात्र जसवंत की मौत के मामले में कोर्ट ने आरोपी झोलाछाप की अग्रिम जमानत याचिका निरस्त कर दी है। याचिका निरस्त होने के बाद अब उसकी गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया है।

धानेपुर थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत त्रिभुवन नगर ग्रांट के मजरा सोहारवा के रहने वाले छात्र जसवंत (12) को पेट में दर्द होने की शिकायत पर परिजनों ने उसे कुतुबगंज बाजार स्थित एक झोलाछाप की क्लीनिक पर दिखाया था। झोलाछाप चिकित्सक राजेश यादव ने जसवंत का गलत इलाज किया जिससे उसकी मौत हो गयी।मामले में उसके पिता  अजीत कुमार चौहान ने आरोपी झोलाछाप के खिलाफ धानेपुर थाने में गैर इरीदतन हत्या व धोखाधड़ी की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज करायी थी। पुलिस आरोपी की तलाश में जुटी थी। इसी बीच आरोपी अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट चला गया था। सत्र न्यायाधीश प्रमोद कुमार श्रीवास्तव द्वितीय ने मामले की सुनवाई की‌‌।

जमानत याचिका का विरोध करते हुए अभियोजन पक्ष ने कहा कि अपराध गंभार प्रकृति का है और आरोपी को जमानत दी गयी तो वह फरार हो सकता है। एफआईआर, चश्मदीद गवाहों के बयान व अभियोजन पक्ष के तर्कों को सुनने के बाद कोर्ट ने माना कि आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका को स्वीकार किए जाने का जो कारण बताया गया है वह पर्याप्त नहीं है। सत्र न्यायाधीश प्रमोद कुमार श्रीवास्तव द्वितीय ने राजेश यादव की अग्रिम जमानत याचिका निरस्त कर दी है। 

अवैध रूप से कर रहा मेडिकल स्टोर का संचालन 

अमृत विचार: बलरामपुर जिले के रेहरा थाना क्षेत्र के देवारी खेला गांव का रहने वाला राजेश यादव धानेपुर थाना क्षेत्र के कुतुबगंज बाजार में बिना लाइसेंस के मेडिकल स्टोर खोल रखा था‌।‌ मेडिकल स्टोर की आड़‌ में वह क्लीनिक भी चला रहा था। शिकायत मिलने पर गोंडा व बलरामपुर जिले की औषधि प्रशासन की संयुक्त टीम ने छापेमारी कर उसके मेडिकल स्टोर को सील कर दिया था।  छापेमारी के दौरान मेडिकल स्टोर से करीब एक लाख रुपये की दवाई भी बरामद की गई थी। लेकिन कुछ दिन बाद उसने अफसरों से सेटिंग कर सीज स्टोर को फिर से खोल लिया था और क्लीनिक चलाने लगा था।

दो सदस्यीय‌ जांच टीम ने भी राजेश को ठहराया था दोषी 

12 वर्षीय जसवंत की मौत के बाद सीएमओ ने इस मामले की जांच के लिए दो डॉक्टरों की एक समिति का गठन किया था। डॉक्टरों की समिति ने जब मौके पर पहुंच कर जांच की तो पाया कि राजेश यादव के पास कोई वैध डिग्री नहीं थी।  इसके बावजूद वह अस्पताल का संचालन कर रहा था। उसके गलत इलाज करने के कारण ही जसवंत की मौत हुई थी। कोर्ट ने इस रिपोर्ट का भी संज्ञान लिया और मामले को गंभीर माना।

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