लखनऊ, संवाद पत्र । छोटी सी गलती से बच्चे कुपोषण का शिकार हो सकते हैं। अगर पांच साल से छोटे बच्चों की सेहत का ध्यान नहीं रखा गया, तो बच्चों की सेहत गिर सकती है। यह बातें लोहिया संस्थान में बाल रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. दीप्ति अग्रवाल ने दी। अगर बचपन से इसपर ध्यान नहीं दिया तो बड़े होते हुए बच्चे का सही से नहीं होगा।
किसे कहते हैं कुपोषण ?
कुपोषण एक ऐसी गंभीर स्थिति है जिसमें पोषक तत्वों की कमी की वजह से आपके शरीर का विकास रुक जाता है। बच्चे को छह महीने बाद पोषक तत्व देना शुरू कर देना चाहिए। जैसे- आपके आहार में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, लवण, पानी, विटामिन और खनिज आदि।
लोहिया के शहीद पथ स्थित मातृ शिशु एवं रेफरल हॉस्पिटल में जागरुकता कार्यक्रम हुआ। डॉ. दीप्ति अग्रवाल ने कहा कि छह माह तक शिशुओं को स्तनपान जरूर कराएं। इस दौरान शिशु को बाहर से कुछ भी नहीं दिया जाना चाहिए। पानी तक बच्चों को नहीं पिलाना चाहिए। इसके बाद बच्चों को थोड़ा-थोड़ा ठोस आहार देना चाहिए। पांच साल तक शिशु के आहार का खास खयाल रखें। इससे काफी हद तक बच्चों को कुपोषण से बचा सकते हैं।
कुपोषण के लक्षण
-चिड़चिड़ापन
-डिप्रशन
-थकान
-असामान्य रूप से शरीर से वसा का कम होना
-चोट इंफेक्शन आदि जल्दी ठीक न होना
(एक उम्र के बाद यह लक्षण दिखाई देने लगते हैं)
कुपोषण के कारण
-जरूरत के अनुसार पोषक तत्वों का सेवन न करना
-नशीले पदार्थों का सेवन करना
-पाचन संबंधी समस्याओं का होना आदि
कुपोषण से बचाव के उपाय क्या है?
-हेल्दी डाइट का सेवन करें। जैसे कि अनाज, सब्जियां, फल, प्रोटीन और पौष्टिक खाना शामिल है
-डेयरी प्रोडक्ट को डाइट में शामिल करें
-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से बचने की कोशिश करें
-खनिज पदार्थ और विटामिन का पर्याप्त मात्रा में सेवन करें।
-भरपूर मात्रा में पानी पिएं
-हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं
-रेगुलर एक्सरसाइज करें
-गर्भावस्था के दौरान अपने और अपने बच्चों को सही आहार दें।
पैथोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. नुजहत हुसैन के अनुसार कुपोषण की समस्या गंभीर है। कुपोषित बच्चा आसानी से संक्रमण की चपेट में आता है। बार-बार बीमारियां घेर लेती हैं।
पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉ. श्रीकेश सिंह के अनुसार बच्चों की अच्छी सेहत के लिए खान-पान व खेलने कूदने की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। बच्चों का विकास तेजी होती है।