कासगंज, संवाद पत्र । महिला अधिवक्ता मोहनी तोमर की हत्या के मामले में पुलिस नए-नए दावे कर रही है। मामला और उलझता जा रहा है। खुलासा नहीं होने से महिला अधिवक्ता के परिजन भी परेशान हैं। बुधवार सुबह से ही न्यायालय परिसर सुरक्षा के कड़े घेरे में रहा। इधर न्यायालय में असमंजस बना रहा कि आखिर पुलिस का यह कड़ा घेरा क्यों है। इस बीच पता चला कि जेल भेजे जा चुके पांच अधिवक्ता और एक विधि छात्र की बुधवार को रिमांड तारीख थी।
दरअसल बुधवार को उस समय न्यायालय में असमंजस की स्थिति हो गई, जब मुख्य द्वार से लेकर न्यायालय परिसर पुलिस के घेरे में दिखाई देने लगा। लोग यह जानने की कोशिश कर रहे थे कि इतना पुलिस बल क्यों तैनात किया गया है। बाद में पता चला कि इस घटना के नामजद आरोपी मुस्तफा कामिल, हैदर, असद, सलमान, मुनाजिर और केशव मिश्रा को न्यायालय में रिमांड तारीख के लिए पेश किया जाना था। उधर जेल प्रशासन को इन पांच अधिवक्ताओं और विधि छात्र ने अपनी जान को खतरा बताते हुए न्यायालय में पेश न करने का अनुरोध किया, तो जेल प्रशासन ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उनकी रिमांड तारीख कराई।
अब अगली तारीख पर फिर से सुनवाई होगी। वहीं चर्चा यह भी रही कि पुलिस इस मामले में किसी अन्य आरोपी को रिमांड के लिए न्यायालय के समक्ष पेश कर सकती है।जेल अधीक्षक विजय विक्रम सिंह ने बताया कि बुधवार को रिमांड की तारीख के लिए आरोपी पांच अधिवक्ताओं और एक विधि छात्र को न्यायालय में भेजना था, लेकिन इन सभी ने सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। सामान्य तौर पर रिमांड की तारीख वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हो जाती है। इन सभी की तारीख वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से करा दी गई।
जानिए कब क्या हुआ
तीन सितंबर को गायब हुईं थीं मोहिनी
तीन सितंबर को अधिवक्ता मोहिनी तोमर न्यायालय के मुख्य द्वार से लापता हो गई थीं। चार सितंबर की देर शाम उनका शव गोरहा नहर में गांव राजपुरा के समीप मिला। शव की शिनाख्त महिला के पति बिजेंद्र तोमर ने की, और पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया। जिला जज सैयद माऊज बिन आसिम अन्य न्यायिक अधिकारियों के साथ पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। उन्होंने भी घटना पर दुःख जताया, लेकिन सनसनी उस समय फैल गई, जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई। महिला अधिवक्ता के लापता होने के 28 घंटे के अंदर शव बरामद कर लिया गया।
शव मोहिनी का होने पर भी उठे थे सवाल
शव मिलने के बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो पता चला कि लाश तीन दिन पुरानी थी। फिर यह सनसनी फैल गई कि यह शव मोहिनी तोमर का नहीं है। इसको लेकर डीएनए जांच की मांग उठाई गई। पहले तो पुलिस इस मामले की जांच करती रही और महिला के पति द्वारा दी गई तहरीर पर दर्ज एफआईआर के बाद आरोपियों को जेल भेजने का दावा करती रही। इस बीच जब मामला तूल पकड़ता गया, तो शासन ने इसका संज्ञान लिया। एसपी अपर्णा रजत कौशिक ने विवेचना में तेजी के निर्देश दिए।
हल होने के बजाए उलझता चला गया मामला
मामला बढ़ता देख फिर पुलिस ने एक और नया मोड़ दे दिया। महिला रेनू और उसके सहयोगी बॉबी को हिरासत में लेकर पूछताछ की, फिर न्यायालय में पेश कर दिया। पता चला कि एटा का सुनील कुमार फौजी और सिढ़पुरा के कलानी का रजत सुपारी किलर है। उन्होंने एक पुराने मुकदमे की रंजिश के चलते मोहिनी तोमर की हत्या की है, लेकिन मुकदमा क्या था? यह पुलिस को ही नहीं पता था। इसको लेकर फिर से तरह-तरह के सवाल उठने लगे। जब मामला काफी उलझ गया, तो पुलिस सीमा नाम की महिला को भी हिरासत में लेकर पूछताछ करने लगी। इसके प्रमाण भी अमृत विचार के हाथ लग गए। सूत्रों ने बताया कि सीमा सुपारी की रकम लेकर फरार है। वह सुपारी किलर सुनील फौजी की प्रेमिका है और उसके साढ़ू की पत्नी भी है। जो भी हो, लेकिन अभी तक सही मामला खुलकर सामने नहीं आ पा रहा है।
तो शायद कठघरे में खड़े हो जाएंगे विवेचक
मामले में जिस तरह से उलझन बढ़ती जा रही है, उससे विवेचना पर भी अधिवक्ताओं ने सवाल उठाए हैं। वैसे तो जब नामजद अधिवक्ताओं को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, तब आरोपी अधिवक्ताओं के पैरवीकार अधिवक्ता ने विवेचना को सवालों के घेरे में ले लिया। अब अधिवक्ताओं का कहना है कि विवेचना बेहद धीमी गति से हो रही है। ऐसे में विवेचना संदेह के दायरे में है। उन पर कहीं न कहीं कोई दबाव है या फिर वे जानबूझकर लापरवाही कर रहे हैं।
मेरी जान को बना हुआ है खतरा
मोहिनी तोमर के पति बिजेंद्र तोमर ने कहा है कि मेरी जान को खतरा बना हुआ है। पुलिस अभी तक कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं कर सकी है। यही हाल रहा तो मेरे परिवार के किसी अन्य व्यक्ति की भी हत्या आरोपियों द्वारा की जा सकती है, क्योंकि पुलिस के अनुसार जो आरोपी फरार चल रहे हैं, वे काफी कुख्यात हैं।