कुंदन बिष्ट, काशीपुर, संवादपत्र । सरकारी विभाग अपने ही सरकारी विभागों पर कितना मेहरबान है कि जहां आम जनता का बिल चुकता नहीं होने पर उनपर सख्त कार्रवाई कर दी जाती है तो वहीं अपने ही सरकारी विभागों पर लाखों का बिल बकाया होने के बाद भी अनदेखी की जाती है।
कुछ यही हाल है जल संस्थान का। 47 लाख से अधिक का सरकारी बिल होने के बाद भी जल संस्थान केवल नोटिस देने तक ही सीमित है। इतना ही नहीं यह नोटिस आज से ही नहीं बल्कि वर्षों से चले आ रहे हैं।
जल संस्थान अपनी पाइप लाइनों से शहर को पीने का पानी उपलब्ध कराता है। इसमें कई सरकारी विभागों को भी पानी उपलब्ध कराया जाता है। पुलिस विभाग, नगर निगम, पीडब्ल्यूडी विभाग समेत अन्य विभागों में भी पानी की पाइप लाइन है। बताया जाता है कि चौकियों, थानों और कोतवाली के पानी के बिल का पेमेंट तो हो जाता है, लेकिन जिस सरकारी क्वार्टर में पुलिसकर्मी रहते हैं उसका पानी का बिल आज से नहीं बल्कि वर्षों से जमा नहीं हो रहा है।
हर बार संस्थान कर्मी बिल का तकादा करने पहुंचते हैं तो पहले की जगह दूसरा कर्मी रहता हुआ पाया जाता है, ऐसे में पुराना बिल देख वह पुलिसकर्मी भी बिल चुकता करने से मना कर देता है। यहीं कारण है कि अब तक पुलिस विभाग पर 33 लाख 15 हजार 240 रुपए का पानी का बकाया है। कुछ यही हाल निगम के सरकारी भवन में रहने वाले कर्मियों का भी है। निगम पर भी करीब 12 लाख 33 हजार 956 रुपए का पानी का बिल बकाया चल रहा है।
डिजाइन सेंटर, पीडब्ल्यूडी पर भी करीब 1 लाख 64 हजार रुपए का बिल बकाया चल रहा है। जल संस्थान के विभागीय अधिकारियों के मुताबिक सरकारी विभाग होने पर वह आरसी तो नहीं काट सकते, लेकिन समय-समय पर नोटिस जरूर भेज रहे हैं। ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि इतना बिल होने के बावजूद भी जल संस्थान पानी की सप्लाई क्यों बरकरार रखा हुआ है।