कानपुर में ट्रांसपोर्ट नगर की दुर्दशा: कारोबारी बोले- वोट बैंक होते तो नेता सुनते, पलायन को मजबूर नहीं करते

By Sanvaad News

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कानपुर, संवाद पत्र । ट्रांसपोर्टर्स को मलाल है कि अगर वे वोट बैंक होते तो जनप्रतिनिधि नजरअंदाज नहीं करते। ट्रांसपोर्ट नगर की दुर्दशा से कारोबार चौपट होने के चलते कारोबारी पलायन के लिए मजबूर हैं। बड़ी संख्या में ट्रांसपोर्टर्स भौंती, पनकी, यशोदा नगर, श्याम नगर समेत विभिन्न क्षेत्रों में हाईवे किनारे अपना नया गोदाम और कार्यालय खोल रहे हैं।

ट्रांसपोर्ट नगर में कुछ सड़कें आरसीसी बनाई गई हैं, लेकिन ऐसी सड़कें ट्रांसपोर्टर्स की  मुसीबत और बढ़ा रही हैं। सड़कें ऊपर हो गई हैं और ट्रांसपोर्ट के गोदाम नीचे हैं। सड़क के दोनों ओर कोई नाली नहीं बनाए जाने से सीवर और जल भराव गोदामों तक पहुंच जाता है।  

बिजली के तार नीचे, लग रही आग 

सड़कों को ऊंचा करने से बिजली के तार नीचे हो गए हैं, ऐसे में कई स्थानों पर जब माल उतारने के लिए पल्लेदार ट्रक पर चढ़ते हैं तो झूलते और ढीले बिजली के तारों से हादसे की आशंका बनी रहती है। अक्सर इन बिजली के तारों में टकराव होने से चिंगारियां छूटती हैं। आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। 

क्या बोले ट्रांसपोर्टर्स 

ट्रांसपोर्ट नगर में हाउस टैक्स का खेल भी निराला है, किसी की तीन मंजिल की बिल्डिंग का 15,000 रुपये टैक्स आया है, किसी का सिर्फ प्लाट है तो उसका हाउस टैक्स 20,000 है। कोई मानक नहीं है जिसका जितना समझा, टैक्स भेज दिया। 

ट्रांसपोर्ट नगर उपेक्षा का शिकार है, 100 फिट-150 फिट की जो सड़कें बनाई गई हैं, उनमें फुटपाथ का पता नहीं है, ट्रांसपोर्टर्स अपना धन खर्च करके सीवर चेंबर बनवाते हैं, जो जिम्मेदार हैं, वह हाथ खड़े कर देते हैं।            

ट्रांसपोर्ट नगर में पानी की किल्लत है, सीवर लाइन का पता नहीं है, लेकिन टैक्स देना पड़ता है। क्षेत्र में यही नहीं पता है कि कौन सा कामर्शियल प्लाट या बिल्डिंग है और कौन रिहाइशी है। ऐसे में टैक्स आने पर लोग महीनों ठीक कराने के लिए परेशान होते हैं। 

सड़क ऊपर है, गोदाम नीचे हैं, इससे माल बर्बाद हो जाता है। जिसका माल भीगता है, उसे भुगतना पड़ता है। गोदाम का गंदा पानी निकालने के लिए मशीन मंगाकर जूझना पड़ता है। गोदाम की सफाई अलग कराना पड़ती है, जिसमें कई दिन लग जाते हैं। 
                                                                
कई सड़कें ऐसी हैं जिसे ठेकेदार 7-8 महीने में भी नहीं बना पाया, निर्माण सामग्री ट्रांसपोर्ट नगर में फैली है जिससे जाम लगता है। इन्हीं आधी अधूरी सड़कों पर ट्रकें खड़ी करने का मजबूरी है क्योंकि चारों तरफ खोदकर छोड़ दिया गया  है।                             

सड़कों पर मार्ग प्रकाश की व्यवस्था कर दी जाए तो करोड़ों रुपये के डीजल, वाहनों के पुर्जे, गोदामों के बाहर रखे माल की चोरी रुक जाए, ट्रांसपोर्टर्स ने अपने गोदाम के बाहर रोशनी का इंतजाम करके सीसीटीवी कैमरे लगवा रखे हैं।

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