कर्नाटक: सिद्धारमैया के इस्तीफा की मांग को लेकर भाजपा-जद(एस) का ‘मैसुरु चलो’ मार्च चौथे दिन भी जारी

By Sanvaad News

Published on:

Follow Us

मांड्या। कर्नाटक में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (सेक्यूलर) ने कथित मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) स्थल आवंटन घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के इस्तीफे की मांग करते हुए अपना विरोध मार्च मंगलवार को भी जारी रखा। विपक्ष का आरोप है कि मुडा ने उन लोगों को मुआवजे के तौर पर भूखंड आवंटित करने में अनियमितता बरती, जिनकी जमीन का ‘‘अधिग्रहण’’ किया गया है। 

मुआवजे के तौर पर भूखंड प्राप्त करने वालों में सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती भी शामिल हैं। इसके खिलाफ मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर सप्ताह भर की बेंगलुरु से मैसुरु की पदयात्रा शुरू की गयी है। ‘मैसुरु चलो’ की चौथे दिन की पदयात्रा मांड्या के समीप निदाघाट से शुरू हुई और उसे 20 किलोमीटर की दूरी तय कर मांड्या के जिला मुख्यालय तक पहुंचना है। 

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक बी वाई विजयेंद्र, पूर्व उपमुख्यमंत्री सी एन अश्वत्थ नारायण, विधानसभा में विपक्ष के उपनेता अरविंद बेल्लाद और भाजपा तथा जद(एस) के कई विधायकों, नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पदयात्रा में भाग लिया। दोनों दलों से बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं और नेताओं को सिद्दरमैया तथा कांग्रेस सरकार के खिलाफ नारे लगाते, भाजपा तथा जद(एस) के झंडे पकड़े हुए मार्च करते हुए देखा गया। जिस मार्ग से मार्च गुजरा, उसके कई स्थानों पर दोनों पार्टियों के झंडे, पताका और प्रमुख नेताओं की तस्वीरें लगी हुई थीं। 

शनिवार को बेंगलुरु के निकट केंगेरी से शुरू हुए इस मार्च के पहले दिन बिदादी तक 16 किलोमीटर की दूरी तय की गई और तथा दूसरे दिन केंगल तक 22 किलोमीटर की दूरी तय हुई। आरोप है कि मुडा ने पार्वती को उनकी तीन एकड़ से अधिक क्षेत्रफल की जमीन के बदले में 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे। 

इस विवादास्पद योजना के तहत अधिग्रहीत अविकसित भूमि के बदले में भूमि देने वाले को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित करने की परिकल्पना की गई है। भाजपा नेताओं ने दावा किया है कि मुडा घोटाला 4,000 से 5,000 करोड़ रुपये तक का है। कांग्रेस सरकार ने 14 जुलाई को मुडा घोटाले की जांच के लिए उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी एन देसाई की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया था। 

कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने अधिवक्ता-कार्यकर्ता टी जे अब्राहम द्वारा दाखिल याचिका पर 26 जुलाई को ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी करके मुख्यमंत्री को उनके खिलाफ आरोपों पर सात दिन में जवाब देने को कहा था और यह बताने को कहा था कि उनके खिलाफ अभियोजन की मंजूरी क्यों नहीं दी जानी चाहिए। कर्नाटक सरकार ने मुख्यमंत्री को जारी किए गए ‘‘कारण बताओ नोटिस’’ को वापस लेने की राज्यपाल को ‘‘दृढ़तापूर्वक सलाह’’ दी। साथ ही, राज्यपाल पर ‘‘संवैधानिक पद का घोर दुरुपयोग’’ करने का आरोप लगाया।  

Sanvaad News

आपका स्वागत है संवाद पत्र में, जहाँ हम आपको ताज़ा खबरों और घटनाओं से अवगत कराते हैं। हमारी टीम हर समय तत्पर है ताकि आपको सबसे सटीक और नवीनतम समाचार मिल सकें। राजनीति, खेल, मनोरंजन, व्यवसाय, और तकनीक से संबंधित खबरें पढ़ने के लिए हमारे साथ बने रहें। संवाद न्यूज़ - आपकी आवाज़, आपकी खबर।

Leave a Comment