लखनऊ, संवाद पत्र। अनंत चतुर्दशी का दिन सिद्ध दिनों में से एक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसा, जो लोग अनंत चतुर्दशी पर पुरी श्रृद्धा से व्रत रखकर भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करते हैं उन्हें अनंत काल तक पुण्य की प्राप्ति होती है।
हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है, इसी दिन भगवान गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन भी होता है। आइए जानते हैं कि 2024 में अनंत चतुर्दशी की कब है, इसकी पुजा विधी, मुहूर्त और महत्व क्या है।
अनंत चतुर्दशी डेट
अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन देशभर में बड़ी ही धूमधाम से भगवाग गणेश का विसर्जन होगा और इसी दिन विश्वकर्मा जी की पूजा भी होगी। इसे अनन्त चौदस भी कहा जाता है। अनन्त चतुर्दशी पर भगवान विष्णु, माता यमुना और शेषनाग की पूजा की जाती है और इस दिन अनन्त सूत्र भी बांधते हैं।
अनंत चतुर्दशी का महत्व
“उदये त्रिमुहूर्त अपि ग्राह्यानन्तव्रते तिथिः।
तथा भाद्रपद स्यान्ते चतुर्दश्यां द्विजोत्तमः ।।
पौर्णमास्यां समायोगे व्रतं”
अर्थात- अनंत चतुर्दशी व्रत करने वाले व्यक्ति जिस भी विषय का अध्ध्यन प्रारम्भ करेगा, उसे निश्चित ही उस विषय का उत्तम ज्ञान प्राप्त होगा। धन की कामना करने वाले लोगों को धन की प्राप्ति होगी और ईश्वर की कामना करने वाले मनुष्यों को अनन्त काल तक के लिए ईश्वर का सानिध्य प्राप्त होगा।
अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त
भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तिथि शुरू- 16 सितंबर, दोपहर 05:10
भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तिथि समाप्त- 17 सितंबर, सुबह 11:44
पूजा मुहूर्त- सुबह 06:07 से सुबह 11:44
गणेश विसर्जन मुहूर्त- दोपहर 03:19 से शाम 04:51
अनंत काल तक फल देने वाली चतुर्दशी
पौराणिक मान्यताओं और कथा के अनुसार जब युधिष्ठिर अपने भाइयों और द्रोपदी के साथ वनवास में कष्ट भोग रहे थे। उसी समय श्रीकृष्ण ने उन्हें कष्टों से मुक्ति के लिए और अपना खोया राज्य एवं ऐश्वर्य दोबारा प्राप्त करने के लिए अनन्त व्रत करने को कहा था। इसी का फल था कि पांडवों को पुन: राजयोग प्राप्त हुआ। मान्यता है कि जो भी मनुष्य श्रद्धा और समर्पण के साथ भगवान श्री अनन्त का व्रत करता है, उसे निश्चित ही उसकी इच्छा के अनुसार ही अनन्त फल की प्राप्ति होती है।
अनंत चतुर्दशी पर बांधा जाता है
अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और अनंत सूत्र बांधा जाता है। मान्यता है कि इस सूत्र में भगवान विष्णु का वास होता है। अनंत सूत्र में 14 गांठें होनी चाहिए, इन 14 गांठों को 14 लोकों (भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, वितल, सतल, रसातल, तलातल, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, महातल और पाताल लोक) से जोड़कर देखा जाता है। यह भुक्ति और मुक्ति दोनों की प्राप्ति का उत्तम साधन है। अनंत चतुर्दशी विशेष लाभ प्राप्त करने के लिए 14 वर्षों का अखण्ड व्रत करें।