व्यापार ,संवाद पत्र । भारत का सस्टेनेबल कंज्यूमर गुड्स मार्केट वित्त वर्ष 2029-30 तक पांच लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा और 2027 तक यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा. उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सतत वस्तुओं पर भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की राष्ट्रीय समिति के चेयरमैन बी. त्यागराजन ने इसको लेकर बड़ी बात कही है. आइए पूरा डिटेल जानते हैं।
कंज्यूमर गुड्स के मार्केट में जल्द ही इंडिया का दुनिया में जलवा देखने को मिलेगा. सरकार के शानदार प्रयास और बेहतरीन योजनाओं के दम पर आज दुनिया के अलग-अलग देश भारत में बाजार करने को लेकर इच्छुक नजर आते हैं. उद्योग मंडल सीआईआई ने कहा कि भारत का सस्टेनेबल कंज्यूमर गुड्स मार्केट वित्त वर्ष 2029-30 तक पांच लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा और 2027 तक यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा. उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सतत वस्तुओं पर भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की राष्ट्रीय समिति के चेयरमैन बी. त्यागराजन ने कहा कि हालांकि देश के उत्पाद वैश्विक विश्वसनीयता की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन एक मजबूत परिवेश का निर्माण करना और क्षेत्र में मानकीकरण को अपनाना तथा वैश्विक स्तर पर भारतीय मानकों को पहुंचाना भी जरूरी है।
सबसे तेजी से बढ़ता बाजार है इंडिया
सीआईआई कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड ड्यूरेबल्स समिट 2024 में त्यागराजन ने कहा कि अगले दशक में इस क्षेत्र में वैल्यू एडिशन में कई अवसर पैदा होने की उम्मीद है. त्यागराजन ब्लू स्टार लिमिटेड के चेयरमैन और एमडी भी हैं. उन्होंने कहा कि तैयार माल के साथ-साथ स्वदेशी घटक परिवेश के विकास से लेकर घरेलू स्तर पर सही तरीके से ध्यान देने तक, भारत के वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग महाशक्ति बनने की संभावनाएं काफी प्रबल हैं. भारत पहले से ही दुनिया में उपभोक्ता सतत वस्तुओं के लिए सबसे तेजी से बढ़ता प्रमुख बाजार है और 2027 तक इसके चौथा सबसे बड़ा बाजार बनने की उम्मीद है. वित्त वर्ष 2029-30 तक बाजार का अनुमानित आकार पांच लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है.
ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग का हब बनेगा इंडिया
उन्होंने प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और भारत को आत्मनिर्भर तथा टेक्नोलॉजी के रूप से एडवांस वैश्विक खिलाड़ी बनाने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना सहित विभिन्न पहलों के जरिये इस क्षेत्र को सरकार से मिल रहे समर्थन की सराहना भी की. त्यागराजन ने कहा कि हम जो गति देख रहे हैं, वह स्पष्ट संकेत है कि भारत वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग मंच के एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है।
हम देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 25 प्रतिशत योगदान करने के मैन्युफैक्चरिंग के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. 500 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और 8.5 लाख से अधिक नौकरियों के सृजन के साथ प्रगति निर्विवाद है. मिसाल के तौर पर एयर कंडीशनिंग क्षेत्र के 2040 तक दुनिया में सबसे बड़ा बनने की उम्मीद है.